वरिष्ठ कवि।दो कवितासंग्रह, ‘खुले आकाश मेंऔर मीठे पानी की मटकियाँ

निशान

मैं रेत पर
गिरवी रख आया था
पैरों के निशान

रात
बेईमान हो गईं
समंदर की
लहरें!

कोई पूछे

पेड़ किसी से
कहते नहीं

उम्मीद करते हैं
कोई पूछे
उनका हाल
पतझर में!

हथेली में

भाषा के लिए
किसी
भूखे की
हथेली में
रोटी पर रखे
प्याज
और नमक के
मानिंद होती है
कविता!

दुख

बादलों की चादर ओढ़ कर
कभी-कभी
चुपके से रोया करता है आकाश

दुनिया के
किसी नक्शे में
दर्ज नहीं हुआ
उसका
वजूद!

इच्छा

दुख
लिखते समय
ईश्वर के हाथ
पेंसिल
होनी चाहिए।

परिचय

कुछ परिचय
रेल में होते हैं
जो उतर जाते हैं
आगे
किसी स्टेशन पर!

प्यासा

अथाह पानी है
समंदर के पास
अथाह प्यासा है
समंदर!

प्रेम

१.
पहाड़
कोमल होना चाहता था
न हो सका
नदी है उसके आंसू!

२.
फूल, हवा
और तितलियाँ हैं
तुम आ जाओ
तो मुक्कमल हो मेरी
प्रेम की दुनिया!

३.
जुगनू तितलियों से
दोस्ती कर लेते
तो जान लेते
कुछ
रंगों के बारे में!

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