कविता संग्रह ‘हिंदी का नमक’। जम्मू-कश्मीर की समकालीन कविता के प्रतिनिधि संग्रह ‘मुझे आई.डी.कार्ड दिलाओ’ का संपादन।

1-इतना प्रेम करते हो तुम

इतना प्रेम करते हो तुम
ताकि अंततः शराब तुम्हें पी जाने को
मजबूर हो जाए
दोस्त,
इतनी शराब पीते हो तुम
ताकि अंततः शब्द
तुम्हारी देह को चाटने के लिए
लिखे एक अर्ज़ी
दोस्त,
इतनी चिट्ठियाँ लिखते हो तुम
ताकि अंततः अमर कथा सुनते हुए नहीं
बेर का धन्यवाद करते हुए आए तुम्हें नींद
नींद में साहिबा तोड़ दे तुम्हारे तीर
मिर्ज़ा, इतना प्रेम करते हो तुम।

2-जो प्यार में होते हैं

जो प्यार में होते हैं
चांद उनकी शाम में बिखरे पत्तों से
निकलता है
और उठकर खेतों में चला जाता है
जो प्यार में होते हैं
पूरी-पूरी रात गेहूं की बालियां बीनते हैं
जो प्यार में होते हैं
उनका जहाज भले डूब जाए
पर उनका सूर्य कभी नहीं डूबता।

3-पेड़ का बयान

पत्तों पर धूप
तने में हरियाली रहे
मैं सिर्फ अपनी बात नहीं कर रहा
जब तक
प्रेम की जड़ों में पानी
और टहनी पर चिड़िया बैठी रहे-
दीमक उसे कभी नहीं चाट सकती।

1-पहली बात यह है 

एक प्रकाशक
दो संपादक
तीन समीक्षक
चार अनुवादक
पांच पुरस्कार
और सरकारी खरीद जब आम उपलब्ध हो
तो कवि
अमर होने का सपना देख सकता है
इस पर भी कोई कवि
अमर न होना चाहे तो
तो उसके लिए कौन सी सजा
नियत होगी
यह बात दूसरी है
पहली बात यह है कि
साहित्य के अमरकाल में भी
वह अमर क्यों नहीं होना चाहता।

3-वैसे मैं कहना यह चाहता हूं

कविता आधार कार्ड नहीं है
इसे हैक नहीं किया जा सकता
यह कड़वे तेल की घानी है
यह मुर्दों की मालिश नहीं करती
साथ बैठकर चाय पीती है
पर सेल्फी नहीं है
नौकरी करनी ही पड़ जाए
तो त्यागपत्र जेब में रखती है
अकादमिक कॉन्फ्रेंस में
यह तीन घंटा नींद लेती है
गरने* वाले इलाके में
यह चप्पल गांठता कांटा है
यह सवर्णों चाची है
दूर तक भैंस के पीछे दौड़ सकती है
पंजों से इसका गहरा रिश्ता है
यह गारे की चिनाई है
यह अंदर हाथ रखकर
बाहर से हमें पाथती है
यह भाषा की पड़ोसन है
अनुवाद इसका प्रेमी कभी नहीं हो सकता
बिना किसी पगड़ी के
यह न्याय के हक में खड़ी होती है
वैसे मैं कहना यह चाहता हूँ –
कविताएँ संचित करने के लिए नहीं होतीं।

संपर्क: काली बड़ी, सांबा-184121, जम्मू कश्मीर, मो. 9419274403/ ईमेल : kamal.j.choudhary@gmail.com