बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत। कविता संग्रह ‘स्त्रियां और सपने’, कहानी संग्रह, ‘याद गली का सफ़र’ प्रकाशित।
बोधिवृक्ष
जब मैंने स्त्री को जाना
जैसे छूकर मिट्टी को जाना
जैसे छूकर जल को जाना
जैसे छूकर अग्नि को जाना
तुम हो बोधिवृक्ष
सिद्धार्थ ने भी तुम्हारी परिक्रमा की होगी
अपनी कामनाओं के धागे बांधे होंगे
तुमने उसे ज्ञान का दर्पण दिखलाया होगा
जब मैं नींद भर जागा
और सुख भर सोया
तभी मैं खुद को समझ पाया
ओ स्त्री!
यह तुमसे संभव हुआ
कि मैं नींद भर जागा
और सुख भर सोया
ओ स्त्री! तुम्हीं तथागत हो!
संपर्क : द्वारा नीरज कुमार जायसवाल, फ्लैट नं. 0105, टावर ए2, सुपरटेक इको विलेज–खख, भंगेल, ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन, पिन: 201009 मो.79053 09214