ऑन तेरॉन

(1993) कार्बी भाषा के युवा कवि कथाकार एवं संपादक।पेशे से शिक्षक।तीन पुस्तकें प्रकाशित।जामबिलि लिटरेरी फाउंडेशन के सचिव तथा माइनोनामक कार्बी पत्रिका के सहसंपादक।

हिंदी अनुवाद : आकाश कुमार

(1991) युवा हिंदी लेखक और अनुवादक।जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से शिक्षा।

कवि का कलंकित हुआ नाम अब महान हो गया है

जब एक कवि शराब के नशे में होता है चूर
पूरी रात कोसता है
किसी न किसी को
लानत-मलानत करता है
गुस्से में बड़बड़ाता है
लेकिन आजकल
वह बार-बार ले रहा है नाम
एक स्त्री का
पहले से बिल्कुल उलट
समूची रात उसकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ता हुआ
शायद यह नशा शराब का नहीं
फिर कौन-सा नशा है यह?
जो भी हो
कवि अब लड़ाइयाँ नहीं चाहता
वरना, जरूर होतीं कुछ कहानियां
कवियों द्वारा युद्ध छेड़े जाने की
अचेत हो जाने का प्रभाव अब यह है
किसी को धिक्कारने के बजाय
तारीफ के कुछ शब्द कहे जा रहे हैं
कवि का कलंकित हुआ नाम
अब महान हो गया है।

क्या कविता ने मुझे तलाक़ दे दिया

एक लंबे समय से मैं डरता रहा तुमसे
बात बस इतनी थी कि मैंने डूबकर तुमसे किया प्रेम
कि जीता रहा बस तुम्हारे नाम के सहारे
तुम्हारी पहले से एक कहानी चली आती थी!
जो भी तुम्हारे प्यार में पड़े
इसे भुला न सके
क्योंकि एक कवि रिश्ते की बुनियाद
सिर्फ दिल की गहन भावनाओं से गढ़ता है
तुम्हारी प्रसिद्धि एक बात है
पर जिन्होंने भी तुमसे पाया है प्रेम
ताउम्र उनकी दोस्ती कायम रही है
एक जगमगाते संसार से
चूंकि मुझे भी चाहिए था यह सब बेतरह
मैं करता रहा तुमसे प्यार का इज़हार!
बस इसीलिए
बरसती बूंदों के बीच और
सुबह की टिमटिमाती किरणों में
तुमसे अपना संकोच और भय त्याग दिया
लो मैं तुम्हारा नाम पुकारता हूँ
जानता हूँ अच्छी तरह
जिस दिन मैं तुमसे पूरी तरह मिलूंगा
शांति और मुस्कान मेरी पूंजी होंगी
जब तुमसे इत्मीनान भरी बातें होंगी
मेरा पुख़्ता दिल रौशनी में चमकेगा
लेकिन कश्मकश यह है
कि तुम अभी कहां हो?
हमेशा की तरह ढूंढ आया तुम्हें हर जगह
जब भी रहा दुख से भरा
आंसुओं से डबडबाई आंखें लिए
या
क्या तुमने लौट आने का मन बना लिया है?
मैं तब गाऊंगा एक प्रेम गीत
प्यार के बाजार में
भटकने की आदत डाल रहा हूँ
कभी-कभी
मेरी मुस्कान अतिरेक से परे हो जाती है
तुम्हारी तलाश में निकलता हूँ
लेकिन मालूम होता है
शब्दों की मुझमें दिलचस्पी कम होती जा रही है
तुम्हें मालूम है यह अच्छी तरह
अब, जब तुमसे मेरे जीवन को एक नाम मिला है
क्या तुम फिर आओगी नहीं?
क्या तुम मुझसे अलग हो गई?
जब मेरे आंसुओं की नदी बहना शुरू हो
और पहुंचे तुम तक
फिर चले आना, मैं जी उठूंगा एक बार और!

ऑन तेरॉन : डिकरूट तेरॉन विलेज, पो. . आमलखी, थाना : मंजा, जिला : कार्बी आंगलोंग असम-782461 मो. 7002655657

आकाश कुमार :हिंदी विभाग, दाउदनगर कॉलेज, औरंगाबाद, बिहार, मो. 8130479439