युवा कवि। संप्रति शिक्षक।मराठी में चार कविता संग्रह।
गांधी
1.
मैंने गांधी बाबा के पुतले के साथ
सेल्फी खींची
ताज्जुब
उस सेल्फी में
केवल मैं ही नजर आ रहा था
गांधी जी नहीं
तब मुझे लगा
चलो अपने में राम नहीं है
फिर मैं राम मंदिर गया
और
श्री राम जी की मूर्ति के साथ सेल्फी खींची
ताज्जुब की बात
उसमें भी मैं ही नजर आ रहा था राम जी नहीं
तब मुझे लगा मेरे भीतर गांधी नहीं
उन दो सेल्फियों से मुझे पता चला
सत्य के दो पर्यायवाची शब्द हैं-
राम और गांधी
सत्य जो मुझमें बिलकुल नहीं है।
2.
गांधी के नशा-विरोधी विचारों के समर्थन में
मेरे पुरखों ने छोड़ दिया था शराब बेचना
मेरे दादा, मेरे बाबा जोत रहे थे खेतों में हल
तब से मिट्टी उनकी माता
आसमान पिता बन गया
खेतों में फसल उगाते-उगाते
वे एक दिन मिट्टी के हो गए
मैंने किताबों से दोस्ती की और
विश्वविद्यालय की फीस चुकता करने के लिए
जमीन के टुकड़े बेच दिए
और हो गया भूमिहीन
फिर भी मैंने अपने पुरखों को
शराब का धंधा छोड़ने के लिए नहीं दी गाली
मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूँ कि
किसी का संसार चौपट करने से बचाकर
उन्होंने मुझे लगाया किताबों का नशा।
विद्यानगरी, बामणवाडा, ता.राजुरा, जि.चंद्रपुर–442905 महाराष्ट्र, मो.9420869768