भारत पूरी दुनिया में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद सबसे ज्यादा पुस्तकों की छपाई करने वाला देश है जहाँ 45 से ज्यादा भाषाओं में किताबों की छपाई होती है। ‘डिजिटल माध्यम के इस दौर में जबकि हर व्यक्ति अपने हिसाब से किसी भी बात को कह सकता है, हमारे आसपास अनावश्यक एवं झूठी सूचनाएं इकट्ठी हो गई हैं। ऐसे में प्रिंट माध्यम एक बेहतर विकल्प के रूप में हमारे सामने आता है और इस दृष्टि से पुस्तक अभी भी हमारे लिए ज्ञान का महत्त्वपूर्ण स्रोत है।’ हिंदू कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह के अवसर पर आयोजित वेबिनार में ‘राष्ट्रीय पुस्तक न्यास’ के हिंदी संपादक पंकज चतुर्वेदी ने यह कहा। पुस्तकें जहां ज्ञान के लिए आवश्यक हैं वहीं मनोरंजन एवं खाली समय का सदुपयोग करने का साधन भी हैं। पुस्तकों की सहजता, सुलभता एवं लंबे समय तक प्रभाव बनाए रखने की क्षमता के मामले में उनका कोई सानी नहीं। पुस्तकें जहां बौद्धिक खूराक की पूर्ति के लिए जरूरी हैं वहीं भारत की आर्थिक प्रगति एवं रोजगार देने में भी पुस्तकों की महती भूमिका है।

एक सत्र में विद्यार्थियों के सवालों के जवाब दिए गए। यह भी कहा गया कि महंगाई के साथ जब कागज़ और पुस्तक से जुड़े सभी कार्यों की लागत बढ़ रही है तो पुस्तक का दाम बढ़ना भी स्वाभाविक है। वेबिनार की शुरुआत विभाग प्रभारी डॉ. पल्लव ने ‘हिंदी साहित्य सभा’ की गतिविधियों के बारे में जानकारी देकर की। 

प्रस्तुति : प्रखर दीक्षित