सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती पर विशेष मल्टीमीडिया प्रस्तुति

‘वज्रादपि कठोर-मृदुनि कुसुमादपि’ निराला एक विराट समष्टि का नाम है। जीवन को कविता में और कविता को जीवन में उतारकर वंचितों और उपेक्षितों की वेदना, भूख, मान को अपनी आत्मा में महसूस करने वाला साधक ‘निराला’ है। वो महाकाव्य का नायक है। वो इतिहास है। इतिहास पुरुष है। वो रास्ते में खड़े हो कर गगन से होड़ लेती ऊंची अट्टालिकाओं को नहीं देखता। वो देखता है, पत्थर तोड़ते हाथों को और मिट्टी  में गुम होती श्रम की बूंदों को। कुल्ली भाट के घर बैठकर खाना खाने से उसका धर्म नहीं जाता। लेकिन सर्दी से सिकुड़ते लाचार व्यक्ति के सामने खुद को कोट, दुशाले में लिपटा देखकर हजार धिक्कार से जरूर भर जाता है उसका मन। वह ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की सच्ची अभिव्यक्ति है। वो अपने जीवन की दुखद कथा किसी के साथ बांटना नहीं चाहता, लेकिन फिर भी क्या भूला जा सकता है गढकोला के वंशज को। ‘आटा पीसता सूरज किरन’ भले कितना ही छुपा ले, पर चलती चक्की बता ही देगी इस आधुनिक कबीर की संघर्ष गाथा…

निराला के जन्म वर्ष को लेकर संदर्भ एकमत नज़र नहीं आते कहीं 1896का उल्लेख है तो कहीं 1899 का। 11 जनवरी 1921 को जो पत्र ‘महावीर प्रसाद’ को ‘निराला’ ने लिखा ,उसमें उन्होंने अपनी आयु 22 वर्ष लिखी है। कविता कौमुदी के लिए रामनरेश त्रिपाठी द्वारा पूछे जाने पर वे अपनी जन्मतिथि ‘माघ शुक्ल एकादशी’ यानी 1896 बताते हैं। निराला के जन्मदिन के रूप में वसंत पंचमी का दिन भी प्रसिद्ध है, लेकिन साक्ष्यों और संदभो की मानें तो निराला का जन्म ‘माघ’ माह की एकादशी को ही हुआ था। 1930 में वसंत पंचमी के दिन गंगा पुस्तक मेला के प्रकाशक ‘दुलारे लाल भार्गव’ अपना जन्मदिन मना रहे थे। निराला को यह सोच कर बड़ी कचोट महसूस हुई. डॉ. रामविलास शर्मा बताते हैं, ‘उन्होंने देखा कि दुलारे लाल भार्गव वसंत पंचमी को अपना जन्मदिवस मनाते हैं। उन्होंने निश्चय किया किया वह भी कि वे भी अपना जन्मदिन वसंत पंचमी को मनाया करेंगे। वसंत पंचमी सरस्वती पूजा का दिन, सरस्वती के वरद पुत्र निराला, वसंत पंचमी को न पैदा होते तो कब होते, नामकरण संस्कार से लेकर जन्मदिवस तक निराला ने अपना जन्म पत्र नए सिरे से लिख डाला।’ ऐसे निराले निराला की जयंती के अवसर पर देखिए उनकी जीवन कथा, एक नए रूप में!

कितना वसंत है इस पतझर में…
आलेख, संकल्पना एवं दृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचा
संगीत संयोजन : अनुपमा ऋतु
वाचन स्वर : गुरी, चिकित्सक (डेन्वर कॉलरॉडो )
गीत ‘जागत रहा मांझी’ : धर्मराज
गायन स्वर : मीनाक्षी व्यास
वाद्य अंकन साभार : यलो ट्यून्स, ईशा म्यूज़िक नृत्य एवं अभिनय प्रस्तुति साभार : सुभाष विमान और मेघा रॉय
प्रस्तुति : अबे कलजुग, हिंदी की पहली ऑडियो विज़ुअल मैगज़ीन (वसंत विशेषांक फ़रवरी 2021)

नोट : इस पाठ में निराला जी के पिता के नाम (राम सहाय) के साथ उनकी जाति ‘द्विवेदी’ इंगित है. पारिवारिक सूत्रों के अनुसार वह ‘तिवारी’ थे. कृपया इस तथ्य को सुधारकर राम सहाय तिवारी ग्रहण करें. असुविधा के लिए हमें ख़ेद है.