युवा कवि।संप्रति इंडियन बैंक में प्रबंधक।

जंग के बाद

एक दिन जब जंग खत्म होगी
इतिहास के हिस्से आएंगे
कलंक के कुछ और पन्ने
भूगोल को नए नक्शे मिलेंगे
समय को मिलेंगी
नई विद्रूपताएं
नदियों पहाड़ों जंगलों को मिलेंगे
नए परिचय
जिससे वे अब पहचाने जाएंगे
गर्व और उन्माद से भरे सब हृदय
युद्ध के बाद एक नया झूठ जिएंगे शान से
गढ़ी जाएंगी राष्ट्रप्रेम की
नई परिभाषाएं
बारूदों के धमाकों से
डरे सहमे परिंदे निकलेंगे
धुएँ से भरे आसमान में
और उदास हो जाएंगे
देखकर राखों के ढेर
सूनसान क़ुतुबखानेे
बिलखेंगे अपने रौनकों वाले दिन याद करके
गहरे बैठे दर्द को लिए दो अजनबी
नहीं मस्ुकरा पाएंगे
अब एक दूसरे को देखकर
पनपेंगे दर्द के नए बाजार
जहां बेच आएंगी
सब मांएं अपनी करुणा
सब प्रेमिकाएं अपना सौंदर्यबोध
बच्चे अपना कौतूहल
और लौट आएंगे
खाली हाथ
क्योंकि
जंगों के बस में नहीं होता
किसी को कुछ दे पाना
कुछ भी
वे सिर्फ छीनना जानती हैं।

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