अजय – महेश, तुम्हें पता है आजकल चैत्र नवरात्रि के दिन चल रहे हैं? हम दोनों पति-पत्नी ने मां दुर्गा का अनुष्ठान किया है।नौ दिनों का उपवास रखा है।नौ दिनों तक मां दुर्गा के मंदिर जाकर लड्डू का भोग चढ़ाने का व्रत भी रखा है।

महेश- दोस्त, तुम्हें पता है कि कल मैं तुम्हारे घर तुम्हारी मां की खबर पूछने आया था?

अजय- सच कहते हो?

महेश- कल सुबह आठ बजे मैं तुम्हारे घर आया था।पूरे दो घंटे तक मां के साथ बैठा और बातचीत की।भाभी जी पूजा के कमरे में बैठकर मंत्र-जाप कर रही थी।दोनों बच्चे टीवी सीरियल देखने में व्यस्त थे।दो घंटे तक मां ने अपने पुराने दिनों की बातें कीं तो उनके दिल को बहुत सुकून मिला।मां का दवाई लेने का समय हो गया था तो डिबिया से दवाई निकाल कर मैंने उनको दी और साथ ही फ्रिज से फ्रूट निकालकर, काटकर नाश्ते की डिश भी।मैं घर से निकला, तब मां बहुत भावुक हो गई थीं।

अजय- लेकिन तुम्हारी भाभी ने तो मुझे कुछ बताया ही नहीं!

महेश- वह तो पूजा के कमरे में मां दुर्गा के अनुष्ठान में बैठी थी।फिर यह कह कर बाहर निकल गई कि मंदिर जा रही है।

अजय- मां ने भी नहीं बताया।

महेश- मां तुम्हारी तारीफ कर रही थी।उसके लिए थोड़ा समय निकालो तो मंदिर वाली दुर्गा मां अपने आप खुश हो जाएंगी!

अजय के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला।

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