ल्याङसौङ तामसङ (1945) लेप्चा भाषा के प्रतिष्ठित लेखक, संपादक और भाषाविज्ञानी।अंग्रेजी में भी लिखते हैं।अनेक पत्रिकाओं के संस्थापक, संपादक तथा वेस्ट बंगाल माएल ल्याङ लेप्चा डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष हैं। |
अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद : तपन कुमार (1994) हिन्दी के युवा कवि, कथाकार और अनुवादक।पेशे से इंजीनियर इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में सहायक प्रबंधक के रूप में कार्यरत। |
मानव और पेड़
मैं पेड़ हूँ
हमेशा देता रहता हूँ
अपनी हरी पत्तियों से सजी टहनियों को फैलाकर
तुम्हें रिमझिम बारिश की सौगात देता हूँ
जीवनदायी जल भी तो मुझसे ही है-
और तुम्हारे जीवन को बनाए रखने के लिए
जहरीली होती हवा को साफ करता हूँ
फल-फूल, छाया, बसेरा-सब तो देता हूँ
साथ लाता हूँ नैसर्गिक गर्माहट से भरी खुशहाली
मैं जुटा रहता हूँ रोकने को प्राकृतिक आपदाएँ
तुम्हारे जीवन की रक्षा के लिए
लेकिन बदले में
हमेशा विनाश ही किया तुमने मेरा
अपनी आरियों-कुल्हाड़ियों और
दहकती ज्वाला से
रक्तरंजित मैं, चिताग्नि में सिसकता हूँ
और वह दुनिया, जिसमें मैं नहीं हूँ-
वह बेनाम दुनिया जो तुम बना रहे हो
उसके बारे में सोच-सोच
खामोश रुदन से भर उठता हूँ
ऐ मानव!
आओ, लिपट जाओ मुझसे
आज मेरी रक्षा करो
ताकि तुम्हारा कल बच सके।
‘च्याकमोङ फो’ और उसके मधुर गीत
मैं सुनहरी चोंचवाली चिड़िया हूँ,
और सुनहले हैं मेरे पैर
चमकीले हरे रत्न ‘पन्नों’ से सजी मेरी गर्दन
और सोने के बने मेरे पंख
मेरा घर तीस्ता और रंगीत है
पत्थर के किले में
मेरे आसन में जुड़े हैं
बेशकीमती पन्ने और सोने के अंडे
मेरे मधुर सपनीले गीत सुनकर
ईश्वर मुझे खोजते हुए नीचे आया
बगल की दलदल के ढोंगी मेंढक ने
गायक होने का झूठा दावा किया
जब ईश्वर ने उसे गाने को कहा-
टर्राने के अलावा वह भला क्या कर पाता?
चिढ़कर, तंग आकर
ईश्वर ने उसे आसमान में उछाल दिया
जब वह मेंढक अपनी पीठ के बल
बिच्छू बूटी पर गिरा
कुरूप चकत्ते उसकी पीठ पर फैल गए
मेरा यकीन मानिए, वे आज तक हैं।
‘च्याकमोङ फो’
नदियों के किनारे फुदकती
‘विम पलित’१ राग में गुनगुनाती
मुझे मेरे गीतों से पहचानकर
ईश्वर ने बुलावा भेजा
एक दिन, स्वर्ग में आमंत्रित कर मुझे
अपने चमकीले आसन पर बैठ
बहुत हर्ष से उसने मेरे गीतों को सुना
ईश्वर से उपहार में प्राप्त
पन्नाजटित माला, सुनहले पंख
सुनहरी चोंच और पैरों के साथ-
मैं उड़ चली, जीत के उल्लास में
ईर्ष्या से भरे अन्य पक्षियों ने
मेरे सुनहरे पंख और पन्नाजटित माला छीन लिए
मैंने अपनी सुनहली चोंच छुपा ली
और छुपा लिया अपने सुनहरे पैरों को
दलदल के भीतर
और आज भी
बस मेरी सुनहली चोंच
और मेरे सुनहरे पैर
मेरे साथ हैं।
1. लेप्चा लोकगीत की धुन
ल्याङसौङ तामसङ: चेयरमैन, पश्चिम बंगाल मायल लैंड डेवेलपमेंट बोर्ड, कलिंगपोंग–734301 (प.बं) मो. 8670007326
तपन कुमार: शिवा सदन, जगन्नाथपुरी, बरमसिया, कटिहार-854105, बिहार, मो. 9473071750