युवा कवयित्री और सहायक शिक्षिका।

देवीपुर की औरतें
माथे पर कड़ाह लिए
गंवई साड़ी में
कमर में गमछा लपेटे
जब चलती हैं नंगे पैर
धरती के सबसे करीब होती हैं
देवीपुर की औरतें
हाथों में हथौड़ा लिए
चढ़ती हैं लोकल ट्रेन में
ढूंढती हैं जगह
क्षण भर आराम के लिए नहीं
सखियों के संग गपियाने के लिए
पसीने से सनी देह है उनकी
काले मसूड़ों वाले दांत से
जब खिलखिलाती हैं
टे्रन के डिब्बों की चैन में
बन जाती हैं खलल
देवीपुर की औरतें
करती हैं बातें
पांता भात, आलू माखा मूढ़ी की
काचा लंका और प्याज की
स्वाद आंखों में उतर जाता है
जब वे आस लगाती हैं ‘नवान्न’ की
अभिलाषा कोरों से बह जाती है
देवीपुर की औरतें
छोड़ जाती हैं रोज अपनी थकान
प्लेटफार्म के कोने में
जुट जाती हैं उमंग से चूल्हे में
निचोड़ देती हैं अपनी सारी मिठास
उड़ेल देती हैं सारा नमक
बच्चों के भरण-पोषण में
देवीपुर की औरतें
समेट लेती हैं देर रात तक कपड़े, बासन
छोड़ देती हैं अपना तन गर्म पुआल पर
टटके सबेरे जब बुहार लेती हैं घर-आंगन
निकल पड़ती हैं खुरपे के साथ
चूमने धरती का कण-कण
अब देवीपुर की औरतें
नंगे पैर पसीने से लथपथ देह लिए
कड़ाह, खुरपी, हथौड़ा लिए
करती हैं बातें
चलने की हरे गलीचे पर
करती हैं तैयारियों की बातें
काले स्याह होठ से
रंगनी है कैसे सफेद लिबास!

संपर्क : द्वारा श्री मदन गुप्ता, हाउस नं. 37, बी/एल22, सुगियापाड़ा, कुश विद्यालय के करीब, पोस्ट : कांकीनाड़ा, भाटपाड़ा, जिला :24 परगना (उत्तर), पिन :743126  मो.8420986065