‘दवा ले लो! दवा ले लो!’ कहते हुए एक हकीम चैननगर पहुँच। गांव के बीचों-बीच आकर ‘चमत्कारिक दवा ले लो!’ कहकर जोर-जोर से गला फाड़ने लगा। हकीम की आवाज सुनकर मिनटों में भीड़ का सैलाब उमड़ आया।
‘सचमुच चमत्कारिक दवा है आपकी?’ गांव के मुखिया ने आगे आकर पूछा।
‘जरूर, सौ जड़ीबूटियों से बनी है ये दवा, दवा ले लो, चमत्कार देख लो’।
‘अगर चमत्कार नहीं हुआ तो’!
‘दोगुना दाम वापस लेना।’
‘भाग तो नहीं जाओगे?’
‘चमत्कार दिखाकर ही जाऊंगा।’
‘दवा लेने पर ऐसा कौन-सा चमत्कार होता है?’
‘दवा का सेवन करने पर कोई भी व्यक्ति सत्य बोलने लगता है। चाहकर भी झूठ नहीं बोल सकता। जो भी वह दूसरों के बारे में सोचता है वही बोलता है। जो बात मन में वही जुबान में…।’
मिनटों में जमा हुई भीड़ पल भर में गायब हो गई।
द्वारा- हिंदी विभाग, एस. एस. ढमढेरे महाविद्यालय, तळेगाव ढमढेरे, पुणे (महाराष्ट्र) 412208/ ईमेल– mjamdade@ymail.com
मार्मिक, बदमाशों की दुनिया में सच्चाई का कोई मोल नहीं!
इस हमाम में सब नंगे जो हैं