सुपरिचित कवि। अद्यतन कविता संग्रह किस्सागो रो रहा है.

जो हो ले साथ

यदि कोई बोले कि
पिलाओ एक कप चाय
तो पी लो साथ-साथ
वह सपने से निकलकर आया कोई संहतिया हो
खुले में सोने वाला कोई अभागा
या पहाड़ से लुढ़का कोई भिक्षु
कम होते ही जाएंगे साथ-साथ चाय पीने वाले

चित्र गिरते जाएंगे
तुम्हारी मोबाइल में तेज और तेज
होती जाएगी तुम्हारी स्मृति की प्याली चूर-चूर।

मेरे नाम पर नहीं

मेरे नाम पर युद्ध मत लड़ो
मत लड़ो मेरी मां का हित कहकर
उसका हित तो
बरगद पर बैठी चिड़ियों का झुंड है
और आसमान में उड़ने वाले पतंगों का काफिला

मैं टिन का डिब्बा नहीं हूँ
जिस पर तुम कोई भी चित्र चिपका दो
वे बच्चे भी टिन के डिब्बे नहीं
कि तुम टुकड़े टुकड़े कर
रेत के समंदर में दफना दो
तुम मेरा पक्ष कैसे ले सकते हो!
मेरे हाथ मगरमच्छ के मुंह में
और तुम हो मगरमच्छ के पालक, उसके वैद्य।

संपर्क : दीवानी तकिया,कटहलवाड़ी, दरभंगा, बिहार846004 मो.7654890592