वरिष्ठ पत्रकार और कवि।

शुरुआती समय में मास्क मिलने में काफी परेशानी हो रही थी। कीमत भी एक से डेढ़ सौ तक थी। अब बाजारों में कई तरह के मास्क मिलने शुरू हो गए हैं और कीमत भी बीस-तीस रुपये।

इस  डरावनी हालत में भी सुबह एक बार तो दूध, सब्जी और ग्रोसरी के लिए बाहर निकलना ही पड़ता है। वैसे अब महिलाएँ भी निकलती हैं।

फुटपाथ पर मास्क लगाकर बेचनेवाले लड़के से एक महिला कई रंगों के मास्क उलट-पलट कर देख रही थी। पूछने लगी- तुम्हारे पास पिंक कलर का मास्क नहीं है क्या?

मास्क बेचनेवाले लड़के ने कहा- मैडम किसी कलर का भी ले लीजिए, सब तो एक ही हैं।

महिला तुनक कर बोली- वह मुझे भी पता है। मैं पहले भी तुमसे तीन अलग-अलग कलर के मास्क ले चुकी हूँ, पर मेरी पिंक वाली साड़ी के साथ मुझे मैचिंग मास्क चाहिए।

लड़के ने उस महिला को सिर उठाकर देखा- सॉरी मैडम, मैचिंग मास्क तो मेरे पास नहीं है!

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