कवि और अनुवादक।
बहुत पहले नष्ट हो चुकी प्रजातियों के मेजबान-
एक चट्टान, एक नदी, एक वृक्ष,
जिन पर मैस्टोडॉन ने छाप छोड़ी
डायनासोर, जिन्होंने
हमारे ग्रह पर
अपने अस्तित्व के
शुष्क प्रमाण छोड़े
उनकी त्वरित विनाश की व्यापक चेतावनी
युगों के धुंधलके में कहीं खो हो गई है
लेकिन आज, चट्टान हमें चीख कर पुकारती है
स्पष्टता और दृढ़ता के साथ
आओ, मेरी पीठ पर खड़े हो जाओ
अपनी सुदूर नियति का सामना करो
हाँ, मेरी छाया में किसी स्वर्ग को मत तलाशना
मैं तुम्हें छिपने का कोई स्थान नहीं दूँगी
तुम, देवदूतों से बस कुछ ही कमतर
चिरकाल से भीषण अधेरे में दुबके
अज्ञानता में चेहरा झुकाए हो
तुम्हारे मुंह से वध के लिए निकलते शब्द-बाण
आज चट्टान हमें चीख कर पुकारती है
तुम मेरे ऊपर खड़े हो सकते हो
पर अपना चेहरा मत छिपाना। …
विश्व की चौहद्दी के पार
एक नदी सुंदर गीत गाती है
कहती है आओ मेरे पास विश्राम करो
तुममें से प्रत्येक सीमावर्ती देश
संकटग्रस्त और अनोखे ढंग से गर्वित
घेराबंदी के बावजूद सदैव आक्रामक
विजय के तुम्हारे सशस्त्र संघर्ष
छोड़ गए हैं मेरे किनारे कचरे के ढेर
मेरी छाती पर मलबे के प्रवाह
फिर भी मैं आज तुम्हें अपने तट पर बुलाती हूँ
हाँ तुम युद्ध के बारे न सोचो, तो आओ
शांतिदूत बनकर और मैं गीत गाऊंगी
वे गीत जिन्हें विधाता ने सौंपे थे
जब मैं और वृक्ष और चट्टान एक थे
पहले जब तुम्हारी भृकुटी कुटिलता से
रक्तरंजित न थी
और जब तुम जानते थे कि
तुम कुछ नहीं जानते थे
नदी गाती थी और आज भी गा रही है।….
एक सच्ची तड़प है उत्तरदायी होने की
गाती हुई नदी और बुद्धिमान चट्टान के प्रति
ऐसा कहते हैं, एशियाई, हिस्पैनिक, यहूदी
अफ्रीकी, नेटिव अमेरिकी, सीओक्स
कैथोलिक, मुस्लिम, फ्रांसीसी, यूनानी
आयरिश, रब्बी, पुजारी, शेख,
समलैंगिक, विषमलैंगिक, उपदेशक,
विशेषाधिकृत, बेघर, शिक्षक.
वे सब सुनते हैं वृक्ष की बात
वे सुनते हैं हर वृक्ष की पहली और आखिरी बात
जिसे आज वह मानवजाति से कहता है
मेरे पास आओ, यहाँ नदी के पास
स्वयं को नदी के पास स्थापित करो
यहाँ से गुजरे यात्रियों के वंशज
तुम्हारा भुगतान हो चुका है
तुम, जिन्होंने मुझे मेरा पहला नाम दिया
तुम निक्षेपग्राही, अपेची, सेनेका
तुम चेरोकी राष्ट्र, जिन्होंने मेरे साथ विश्राम किया
फिर मुनाफे के लिए बेताब
संपत्ति के लिए लालायित
अन्य खोजियों की दासता से विवश
मुझे छोड़ दिया
तुम, तुर्क, अरब, स्वीडिश, जर्मन, एस्किमो, स्कॉटलैंडवासी…
तुम अशांति, योरूबा, क्रु, एक दुःस्वप्न पर सवार
एक महत्वकांक्षा संजोए आए –
तुमने बेचा, खरीदा और लूटा
यहाँ, मेरे पास, अपनी जड़ें जमा दो।
….
मैं नदी द्वारा रोपा वह वृक्ष हूँ
जिसे हटाया नहीं जाएगा
मैं, चट्टान, मैं नदी, मैं वृक्ष
मैं तुम्हारा हूँ
तुम्हारी यात्राओं का भुगतान हो चुका है
अपने चेहरों को ऊपर उठाओ
तुम्हें सख्त जरूरत है
इस उज्ज्वल सुबह की
जो तुम्हारे लिए उदित हो रही है
इतिहास के साथ जीना पड़ता है
बावजूद उसकी हृदय विदारक पीड़ा के
परंतु जब मुकाबला हिम्मत से किया जाए
तो फिर डरने की जरूरत नहीं है
अपनी आंखें ऊपर उठाओ, देखो
यह दिन तुम्हारे लिए उदित हुआ है
फिर से एक नए सपने को जन्म दो
स्त्रियो, बच्चो, पुरुषो
इसे अपनी अंजलि में ले लो
इसे अपनी सबसे निजी जरूरत के रूप में ढालो
इसे अपनी सबसे सार्वजनिक छवि
के रूप में गढ़ो
अपने दिलों को ऊंचा उठाओ
एक नई शुरुआत के लिए
हर घड़ी नई संभावनाओं से भरी है
चिरकालीन पाशविकता के दासत्व में
सदैव डर के साथ मत जियो
क्षितिज आगे झुका है
तुम्हारे नए कदमों को स्थान देने के लिए
यहाँ, इस शुभ दिन के अवसर पर
तुम्हारे भीतर साहस होना चाहिए
कि तुम चारों-ओर देख सको
मुझे – इस चट्टान, नदी, वृक्ष को
और अपने देश को स्वीकार कर सको
यहाँ इस नई सुबह की बेला में
तुम्हारे भीतर विनीत भाव होना चाहिए
तुम चारों ओर, अपनी बहनों की आंखों को
अपने भाइयों के चेहरों को
अपने देश को परख सको
और सरलता से
बहुत ही सरलता के साथ
सुप्रभात कह सको!
1-मैस्टोडॉन : विशाल दांतों वाले हाथी जैसे स्तनधारी जीव जो लगभद 11000 वर्ष पहले विपुप्त हो गए थे। वे जंगलों में झुंड में रहते थे। आहार के लिए वे पेड़ों, झाड़ियों आदि की शाखाओं पर एवं चराई पर निर्भर थे।
2- माया एंजेलो ने 20 जनवरी, 1993 को यह लंबी कविता अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिटंन की उपस्थिति में पढ़ी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति के उद्घाटन समाराहों के इतिहास में कविता पढ़ने वाली वह दूसरी आमंत्रित कवि (और पहली अफ्रीकी-अमेरिकी कवि)थीं।
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