अनीता वनललनुन्मवी

(1992) मिज़ो भाषा की कवयित्री और कथालेखिका।आप अंग्रेजी में भी लिखती हैं।मिज़ो में आपके तीन कविता संग्रह प्रकाशित।

हिंदी अनुवाद : अनीता पंडित

(1982) युवा अनुवादिका और संपादिका।साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका संवदियाका दस वर्षों से संपादन।

लड़की

उसके चेहरे पर हल्की उदासी है
नीले, सफेद और सलेटी रंगों वाली
उसकी आंखों का रंग काला है
उदासी के कोहरे से ढंका हुआ
उसके होंठ लाल-भूरे हैं
खुद के लिए एक शब्द कहने को कभी नहीं खुले
ठंडे फर्श पर पड़ी हुई वह
अपनी काली आंखों को बंद किए हुए
आराम कर रही हो मानो।

किसी से प्रार्थना नहीं

जब प्रकाश चमक रहा हो
और जब सर पर इंद्रधनुष हो
जब आकाश नीला हो
और कोई तूफान मेरी तरफ न आ रहा हो
मैं तुम्हें याद करना न भूलूं
जब मैं अपनी लगाई हुई फसल काटूं
और सुनहरे प्याले में अपना पसीना पीऊं
जब मेरे घाव ठीक हो चुके हों
और उनके निशानों पर मुझे
गर्वित होने की शक्ति मिले
मैं तुम्हें याद करना न भूलूं
जब मैं दुनिया के शिखर पर रहूँ
और मैं सुख की बुलंदी छू लूं
जब मैं अपने शत्रुओं को पराजित कर दूं
और मैं उनके उनके द्वारा पूजित होऊं
मैं तुम्हें याद करना न भूलूं
जब मैं दिल खोलकर हँसूं
नए गाने गाना शुरू कर दूं
और नई कविताएँ लिखने लगूं
जब मुझे मदद की जरूरत न हो
और जो मुझसे प्यार करते हों उन्हें
त्यागना शुरू कर दूं

मैं तुम्हें याद करना न भूलूं
जब मेरा गौरव बढ़ने लगे
और शैतान कोशिश करे मुझे निगलने की
जब मैं उसे भूल जाऊं-
जिस शैतान को मैंने वश में किया है
और जो अब मेरा मित्र है
मैं तुम्हें याद करना न भूलूं।

अनीता वनललनुन्मवी:  वेंगथार, खाज्वाल, मिजोरम796310, मो. 9077363087

अनीता पंडित: फ्लैट संख्या 6, नीलकुठि, 13 बी, धीरेन्द्रनाथ घोष रोड, कोलकाता-700025, मो. 8920035633