पापा के साथ नैनीताल के माल रोड पर घूम रहा था।तभी छलांग लगाने की मुद्रा में रखे हुए थर्मोकोल का मेंढक खरीदने की इच्छा हुई।दुकान लगाकर बैठी छोटी लड़की से दाम पूछा तो उसने 25 रुपये बताए।

लड़की से पूछा- क्यों, कम में नहीं देगी? पांच-दस रुपये से ज्यादा का वैसे भी नहीं है।

-भैया, आज बिक्री नहीं हो रही है, आप 20 दे दीजिए।

-पंद्रह से ज्यादा एक रुपया नहीं।मैं उसकी बात काटकर बोला।

पापा जेब से रुपए निकालते हुए बोले- मोहन, तुम दाम क्यों कम करा रहे हो, पैसे जब मैंने देने हैं, तुम बस सामान लो।

-नहीं पापा, मैं इसे ठगने नहीं दूंगा।मैं अपने चौदह वर्षीय आत्मविश्वास से बोला।

-अगर नहीं देना है, तो रहने दो।मैंने कहा और पापा का हाथ पकड़कर आगे बढ़ गया।यह मैंने मम्मी से सीखा था, और जैसे बिलकुल वे करती हैं, थोड़ा आगे बढ़ने के बाद पीछे मुड़कर ऊंची आवाज़ में पूछा- देना है, आखिरी बार पूछता हूँ?

छोटी लड़की हाथ में मेंढक लेकर बुला रही थी।

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