(जन्म :1934) किओवा इंडियन विरासत के प्रमुख देशी अमरीकी कवि।देशी अमरीकी साहित्य में नवजागरण के अग्रदूत।पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित।
सोइ-टाली का गीत
मैं हूँ उजले आसमान का एक पंख
एक नीला घोड़ा दौड़ता हुआ मैदान में
मैं हूँ मछली जो तैरते हुए चमक रही है जल में
मैं हूँ एक बच्चे के साथ चलने वाली परछाई
मैं हूँ चंद्र ज्योत्सना
उतरती हुई घास के हरे मैदान में
मैं हूँ एक चील हवाओं से खेलता हुआ
मैं हूँ प्रकाशमान मणियों का गुच्छा
मैं हूँ काफी दूर का तारा
मैं हूँ भोर का शीत
गरजती बारिश, बर्फ की चमक
मैं हूँ झील पर चांद की लंबी पगडंडी
चार रंगों की ज्वाला
झुटपुटे में खड़ा हिरण
सूमक पौधों का मैदान
मैं हूँ जाड़े के आसमान में
बनाता हुआ मूस-सा एक कोण
मैं हूँ किसी जवान भेड़िया की भूख
मैं हूँ इन सभी चीजों का स्वप्न
तुम देख सकते हो
मैं जिंदा हूँ, बिलकुल जिंदा हूँ
मैं जुड़ा हूँ अच्छी तरह पृथ्वी से
मैं जुड़ा हूँ अच्छी तरह देवताओं से
मैं जुड़ा हूँ सारी सुंदर चीजों से
मैं जुड़ा हूँ सेन-टेंटे की बेटी से
देखो, मैं जिंदा हूँ!
शब्दों के लिए प्रार्थना
मेरी आवाज ही है मेरी सुरक्षा
पश्चिमी हवा बजा रही है बांसुरी
सुबह कर रही है भूरे सरोवर पर पैबंदकारीः
मेरे पास शब्द होते तो
मैं बता पाता कहां से हुई उत्पत्ति
रक्त में सराबोर ईश्वर के हाथों में
जब देखा था रोशनी पहली बार
जब महसूस किया था किलकारियां भरते हुए
उसकी गरम सांसों को
और लिली तथा चेरी की गंध भी
और ईश्वर, मेरी धड़कन
कर रही है मुझे व्यक्त
मैं हूँ एक प्रकाशमान विद्युत गर्जन
फूट पड़ा वेग के साथ
किसी फुसफुसाती चट्टान के ऊपर
जहां हैं झरे पत्ते
मैं हूँ गहरे खड्ड का मौन
मैं हूँ नश्वरता का शोर
मैं कह सकता सूर्य की किरणों के बारे में
मैं कह सकता रात के आसमान के बारे में
यदि मेरे पास शब्द होते!
(अनुवाद :अरिंदम)
बेहद सजग अनुवाद सम्पादन और सृजन कल्पना के ठोस परिणाम से बना यह अंक। साधुवाद
सम्पादकीय टीम और लेखन खोजी टीम।