जीवन एक अनंत राग है, यह राग जब किसी साज़ पर जा ठहरता है तो सुर सहेजे जाते हैं और यही राग जब किसी कवि के मन में उतरता है तो लिखी जाती है कविता! आइए वागर्थ की विशेष मल्टीमीडिया प्रस्तुति ‘कविता चित्रपाठ’ के क्रम में इस बार सुनते हैं एक ऐसे ही राग में ढली नागार्जुन की कविता, ‘गुलाबी चूड़ियां.
रचना : नागार्जुन
आवृत्ति : आशीष कुमार तिवारी
श्रव्य-दृश्य संपादन : उपमा ऋचा
प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा परिषद कोलकाता.
Beautifully presented. Background music is apt.
बहुत खूब,
बहुत सुंदर💕
बेहतरीन