प्रसिद्ध कथाकार और कवि, प्रमुख रचनाएँ, ‘कोशी का घटवार’, ‘मेरा पहाड़’, ‘एक पेड़ की याद’।

(सुबह-सुबह अखबार में मंदिर के पिछवाड़े तौलिया में लिपटी एक नवजात बच्ची का चित्र देखकर)

आज के अख़बार की सुर्ख़ियों में छाई नन्ही परी
स्वागत है तुम्हारा इस सतरंगी दुनिया में
आभार तुम्हारी नानी का जिसने परंपरा तोड़ी
अपने अंगूठे को दूर ही रखा
तुम्हारे कोयल कंठ से
आभार तुम्हारी जननी का
जिसने ममता की अंतिम बूंदें तुम्हारे गले में उतारी
ताकि तुम गहरी नींद सो सको
आभार मंदिर के उस निराकार आवासी का
जिसने रात के झुटपुटे में नानी की विनती सुन ली
बचाया तुम्हे सांप, बिच्छू और हिंसक जंतुओं से
तुम अनाथ नहीं हो
तुम्हें अपनाने न जाने कितने हाथ आगे बढ़ेंगे
और एक दंपति जो वर्षों से कुत्ते और बिल्लियों पर
अपनी ममता और वत्सल भाव निछावर करता रहा
चाइल्ड लाइन से तुम्हें अपने सीने से लगाकर
विजयी भाव से घर लौटेगा
और वे व्यस्त हो जाएंगे
दूध की बोतल, निप्पल लाने में
एक नन्हा पालना, झुनझुना
और बीसियों छोटे वस्त्रों से घर भर जाएगा
तुम्हारी नई माँ अपने लाड़ले टॉमी से कहेंगी
यहीं बैठे रहना चुपचाप-
‘भौंकना नहीं बिटिया सोयी है’
तुम्हारी अभागी जननी
जो वर्षों से अपने पिता की लाडली थी
अब बोझ बन गई होगी
एक यक्ष प्रश्न- ‘अब यह कैसे निपटेगी’
उनकी भूख-प्यास उड़ा देगा
उसके हाथ पीले हो भी जाएंगे तो क्या वह अपने जीवन साथी को सुख दे पाएगी?
अंतरंग क्षणों में भी
एक कायर चेहरा उसे विरक्त कर देगा
वर्षों तक वह बावली-सी पार्क में खेलती
स्कूल बस के इंतजार में खड़ी बच्चियों में
अपना प्रतिबिंब खोजती और उदास हो जाएगी
नन्ही परी! अब दुनिया बदल रही है
अंतरजातीय दांपत्य स्वीकार्य है
लिविंग टुगेदर मान्य हो चला है
अब स्वस्ति वाचन में
साखोचार के प्रश्न बदल गए हैं
विदेशी जामाता/वधू का गर्व से
शंख- घंट से स्वागत होने लगा है
वह दिन दूर नहीं जब छली गई कोई कुआंरी माँ
पूरे दम-खम के साथ कह सकेगी
‘यह मेरी सर्जना है यह मेरी संतान है
और कुछ पूछकर क्या करेंगे आप?’
हम तब इस दुनिया में नहीं रहेंगे बेटी
जब वर्षों बाद तुम फिर एक बार
अखबार की सुर्खियों में
टी.वी. के परदे पर छाई होगी
कला, साहित्य, विज्ञान और खेल के क्षेत्र में
किसी बड़ी उपलब्धि के लिए
स्वागत है तुम्हारा इस सतरंगी दुनिया में!

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