युवा कवि।कवर्धा (छत्तीसगढ़) में सहायक प्राध्यापक।

मैंने एक दिन पक्षियों से पूछा
उनके देश के बारे में
और पूछा क्या कभी आपस में लड़ते हो
अपने देश की सीमाओं के लिए?

बिना कोई जवाब दिए
वे बस उड़ते रहे
जैसे मेरा सवाल ही फिजूल हो
और जैसे कह रहे हों
उड़ सकते हैं हम जहां जहां
सब देश है हमारा

मैंने एक दिन तितलियों से पूछा
कि कौन सा रंग पसंदीदा है तुम्हें
हरा नीला सफेद केसरिया?
और पूछा अलग-अलग पसंद के रंगों के लिए क्या कभी तुम आपस में लड़ते हो?

वे मेरी बातों को अनसुनी करतीं
फूलों पर जा-जा मंडराती रहीं
बिना कोई जवाब दिए
जैसे मेरा रंगों का सवाल ही बेरंग हो
और जैसे कह रही हों
रंग बिरंगी हमारी दुनिया
रंग बिरंगे सारे फूल
हमें पसंद हैं दुनिया के सारे रंग

मैंने एक दिन पशुओं से पूछा
कि बताओ जरा
अपनी जाति धर्म और झंडों के बारे में
वे मेरी बातों पर अपना वक्त जाया न करते हुए
बस उछलते कूदते रहे
झुंड में चरते रहे
एक दूसरे को चाटते रहे

जैसे मेरे सवाल
उनके लिए हैं ही नहीं
एक दिन पशु-पक्षियों की संयुक्त बैठक में फिर पहुंचा और कहा
तुम सब मिलजुल कर आपस में रहते हो
न तुम्हारे कोई राष्ट्र हैं
न सीमाएं, न झंडे
न कोई जाति न कोई धर्म
आखिर तुम सब किस ईश्वर को मानते हो?

इतना सुनते ही सारे पक्षी उड़ गए
तितलियां हो गईं गायब
जानवर सभी भाग खड़े हुए
जैसे मैंने उनसे कोई डरावना सवाल पूछ दिया हो।

संपर्क : जी श्याम नगर कवर्धा, जिलाकबीरधाम, छत्तीसगढ़४९१९९५ मो.९७५५८५२४७९