युवा कवयित्री। दैनिक अखमार सन्मार्ग, कोलकाता में कार्यरत।

क्या मैं तुम पर कविता लिख सकती हूँ सिंगापुर!

अनेक प्रकार की पोटलियों में
अपना अधूरापन ढूंढ़ते हुए
ख़ुद को थोड़ी-थोड़ी अनुपस्थित पाकर
निकल पड़ती हूँ सिंगापुर
एक साफ़-सुथरे शहर में

देर रात घूमते हुए
चमकदार दृश्यों को आंखों में कैद करती
कभी उन्हें मैं अपने गांव के
ग्रीष्म ऋतु के बारे में बतलाती
तो कभी यहां की वेशभूषा के बारे में

उससे पूछती
तुमसे कभी भी मिल सकती हूँ न?
पुराने प्रेमी की तरह
किसी चौराहे पर
किसी पार्क में
बोटेनिकल गार्डन में
चंधी म्यूजियम में
जहां मैं विश्व युद्ध के दौरान
पीड़ित लोगों की जान सकूं कहानी

सिंगापुर फ्लायर में
जहां मैं दुनिया का सबसे ऊंचा झूला झूल सकूं
जहां मैं सैलानी मरीना खाड़ी भी
देख सकूं
किसी भी समय मैं
नाइट क्लब की रंग-बिरंगी रोशनी को अपने
कैमरे में कैद कर सकूं

क्या मैं अपनी उंगलियों से तुम्हें छू सकती हूँ
तुम्हारे शहर की छाया में कुछ देर बैठकर
मैं अपनी पीड़ाएं दूर कर सकती हूँ
क्या तुम मेरा अधूरापन दूर कर सकते हो?
चाहे बदले में मुझसे करवा लो मजदूरी

क्या मैं तुम्हारे बारे में
कविता लिख सकती हूँ।

संपर्क :102/एच/2 मदन मोहन बर्मन स्ट्रीट, नियर बेतुलमाल केलाबगान, कोलकाता700007 nousheen0000b@gmail.com