युवा कवि।फिलहाल नई दिल्ली में फार्मास्युटिकल कंपनी में नौकरी।

फरवरी के फूल

एक घोर स्याह रात्रि के बाद
मेरी नींद खुली
मृतप्राय समझ लिए गए
ठूंठ से नई कोंपल निकली
जीवन फूटा

संघर्ष समस्त ऋतुओं के मध्य
वसंत!
ईश्वर का प्रलोभन है
मनुष्य के लिए
ताकि कुछेक को देखते हुए
जीवन सुंदर बना रहे

नर्म हवाएं नवजात-सी शीतल
सरसों के फूलों पर खेलतीं
फरवरी के
कभी इस फूल पर तो कभी उस फूल पर

इस माह के दिन
बड़ी जल्दी में हैं
पता नहीं क्यों?
औरों से ज्यादा शीघ्रता है इन्हें

मेरी लिप्सा कहती है
कि-
सबसे बात की जाए
तो मैं
एक सुंदर फूल की जुगुप्सा
एक अधखिले फूल के कान में कर आया
ताकि वो और निखर आए
मैं कुछ क्षण और लिप्त रह सकूं

प्रकृति का यौवन
सुंदरता की पराकाष्ठा पर है
हम-तुम भी सुंदर होते हैं
सुंदरता के मध्य रहते-रहते।

वसंत

अभागों को प्रेम होता है- पतझड़ में
उनकी ओर ईश्वर लौटते हैं
हाथ में फूल लिए
तो वसंत आता है।

संपर्क : ग्राम जमुआ हरिराम, पोस्ट तेरही, पिन२७६१४१, जिला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश