भारतीय नेपाली कवि। नेपाली साहित्यिक पत्रिका ‘प्रक्रिया’ के संपादक।

इस बार

इस बार
मैंने अपना जन्मदिन अकेले ही मनाया
मोमबत्ती जलाते उंगुलियां जल गईं
और जन्मदिन के केक काटने वाले हथियार से
तकरीबन अपनी हत्या कर बैठा

इस बार वसंत
आया या नहीं, पता नहीं चला
आंगन में कोई फूल नहीं खिला
पंछी भी नहीं आए
घर के कबूतरों ने
नए चूजे नहीं बनाए

इतनी हुई बारिश इस बार कि
शेष इच्छाओं और सपनों को
झड़ी ओैर ओलों की मार ने मार दिया
वर्षों बाद मैंने इस बार
खोलकर देखा खुद को
कितनी अधिक कमर झुक गई
छटपटाते-छटपटाते
अंदर से तकरीबन सड़-गल चुका हूँ
इतना अधिक फट चुका हूँ कि
अब और फटने की गुंजाइश नहीं रही

आज मैं
उन मोमबत्तियों और इन उंगलियों को
उस केक और इस हथियार को देखते हुए
अपने जन्मदिन को याद कर रहा हूँ
इस क्षण में तनिक भयभीत हूँ
सचमुच भयभीत हूँ।

सपने, महल और गहराई

देखे हैं मैंने चकनाचूर होते सपने
ऐसी स्थितियां भी देखी हैं
जब सपने देखना मुझे
कतई पसंद नहीं था
महलों से
और उन महलों से कोसों दूर
रहने की इच्छा होती थी

समुद्र सूख जाने पर
वहां के मगरमच्छों, बड़ी-बड़ी मछलियों की
स्थिति दर्दनाक हो जाती है
यह देखकर समुद्र से, गहराई से
हमेशा दूर रहा हूँ
कैक्टस को क्या चिंता होगी
मेरी हथेलियों पर कांटे चुभने से

मैं उड़ने के लिए पंख खरीदने नहीं आया था
इस शहर की दुकान से
मैंने देखा है उड़नेवालों को गिरते हुए

पीड़ाएं इतनी हैं कि
रोकर व्यक्त करने के लिए जगह नहीं मिलती
व्यथाएं अनेक हैं

अनगिनत हैं, न तो छुपाई जा सकती हैं
न सही जा सकती हैं
इसलिए सपने देखने और संजोने की इच्छा नहीं है
महलों से दूर हूँ
इसलिए गहराई में नहीं डूबा, समझे?

 

हिंदी अनुवाद : स्वयं कवि.

संपर्क: पो.बॉ. नं. 06, गांतोक, सिक्किम, मो. 9733268722