वरिष्ठ कवयित्री। काव्य–संग्रह ‘अच्छा लगता है’, ‘सड़क मोड़ घर और मैं’ और ‘यह यात्रा मेरी है’। कहानी–संग्रह ‘रिश्तों के शहर’।
टेलिपेथी
टेलिपेथी
जरूर पहुंचती है
दोस्त के पास
दुश्मन के पास
और इस तरह
दोस्त से दोस्ती बढ़ जाती है
दुश्मन से दुश्मनी।
झगड़े
झगड़े
सिर्फ और सिर्फ
उलझाते हैं
रोटी बंदर ले उड़ता है
बिल्लियां लड़ती रह जाती हैं।
जीवन मृत्यु
दुख का अंत सुख है
सुख का अंत दुख
जीवन का मृत्यु
मृत्यु का जीवन
अंत से अनंत
और अनंत से अनंत की यात्रा है।
यादें
भूलना है उसे तो
खूब याद करो
देखना
एकदिन
अपने आप भूल जाओगे।
तुम
तुम, तुम हो
तुम्हारा नाम है, पहचान है
समाज है, देश है
धरती आसमान हवा पानी है
सब तुम्हारा है
और तुम किसके हो।
एक दिन
आकाश का नीला टुकड़ा
धरती का हरा रंग
एक लहर पानी की
हवा का आलिंगन
धूप की तपस जरा सी
मैं यही हूँ
मिल जाना है
इनमें एक दिन।
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