चार कविता संग्रह और एक कहानी संग्रह प्रकाशित। संप्रति अध्यापन।
चाहता हूँ
चाहता हूँ ये जो मुस्कराहटें हैं
तुम्हारे होठों पर
कवियों की तरह खिलती-सिकुड़ती
बरकरार रहे जीवन की
आखिरी सांस तक
यह जो एक हल्की-सी सौंध है
तुम्हारी आंखों में
जुगनुओं की तरह जलती-बुझती
तारों की तरह टिमटिमाती
बरकरार रहे जीवन के
अंधियारे पथ पर भी
यह जो एक
सादगी जैसी सादगी है
नख से शिख तक
चिपकी है जो दीवार पर
धूप के टुकड़े की तरह
बरकरार रहे सूर्यास्त की
आखिरी किरण तक
यह जो एक कौतूहल है
भाव-भंगिमा
एक शिशु की तरह
चकित, विस्मित
बनी रहे उम्र के हर पड़ाव पर
चाहता हूँ यह जो एक लौ है
मिट्टी के दीए की
निरंतर ऊपर उठती हुई
पंखुड़ियों का अनछुआ सौंदर्य
बसंत का मद्धम संगीत
बरकरार रहे सदैव
तुम्हारी मौजूदगी के आसपास।
संपर्क :द्वारा अरविंद ओझा, डॉ.ईशा की गली, मौलाबाग, आरा-802301 (बिहार) मो.9334887747