बारिश : मंगलेश डबराल, स्वर : प्रियंका गुप्ता

बारिश : मंगलेश डबराल, स्वर : प्रियंका गुप्ता

खिड़की से अचानक बारिश आईएक तेज़ बौछार ने मुझे बीच नींद से जगायादरवाज़े खटखटाए ख़ाली बर्तनों को बजायाउसके फुर्तील्रे क़दम पूरे घर में फैल गएवह काँपते हुए घर की नींव में धँसना चाहती थीपुरानी तस्वीरों टूटे हुए छातों और बक्सों के भीतरपहुँचना चाहती थी तहाए हुए कपड़ों...
सुरजीत पातर कविता चित्रपाठ

सुरजीत पातर कविता चित्रपाठ

सुरजीत पातरकविता पाठ :इतु सिंह (शिक्षिका खिदिरपुर कॉलेज, कोलकाता)ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद कोलकाता अनुपमा ऋतु, इतु सिंह, उपमा...
कामायनी (श्रद्धा सर्ग) – आवृत्ति : विवेक सिंह

कामायनी (श्रद्धा सर्ग) – आवृत्ति : विवेक सिंह

आवृत्ति : विवेक सिंहध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद कोलकाता अनुपमा ऋतु, उपमा ऋचा, विवेक...
कविता में आदिवासी : निर्मला पुतुल की कविता ‘उतनी दूर मत ब्याहना बाबा’

कविता में आदिवासी : निर्मला पुतुल की कविता ‘उतनी दूर मत ब्याहना बाबा’

बाबा!मुझे उतनी दूर मत ब्याहनाजहाँ मुझसे मिलने जाने ख़ातिरघर की बकरियाँ बेचनी पड़े तुम्हें मत ब्याहना उस देश मेंजहाँ आदमी से ज़्यादाईश्वर बसते हों जंगल नदी पहाड़ नहीं हों जहाँवहाँ मत कर आना मेरा लगन वहाँ तो क़तई नहींजहाँ की सड़कों परमन से भी ज़्यादा तेज़ दौड़ती हों...
कविता में स्त्री : कैथरकला की औरतें (गोरख पांडे)

कविता में स्त्री : कैथरकला की औरतें (गोरख पांडे)

तीज – ब्रत रखती धन पिसान करती थींगरीब की बीबीगाँव भर की भाभी होती थीं कैथर कला की औरतेंगाली – मार खून पीकर सहती थींकाला अक्षर भैंस बराबर समझती थींलाल पगड़ी देखकर घर में छिप जाती थींचूड़ियाँ पहनती थीं, होंठ सी कर रहती थीं कैथर कला की औरतेंजुल्म बढ़ रहा था, गरीब – गुरबा...