युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। हिंदी कविता के इतिहास में दो प्रवृत्तियां लगातार दिखाई पड़ती हैं। पहली प्रवृत्ति, कविता को कवि-कौशल से अर्जित बहुमूल्य कलात्मक वस्तु मानने की और दूसरी, कविता को जीवन का स्वाभाविक कलात्मक विकास तथा सार्वजनिक...
युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। आशुतोष दुबे की मनोगतियों का स्व-साक्षीभाव उसकी गुरुता को बढ़ा देता है। यहाँ सिर्फ द्रष्टा किसी दृश्य को नहीं देखता, बल्कि आत्म का कोई और स्तर है जो द्रष्टा को देखते हुए भी देखता है। यह उसकी भी गतियों को...
युवा आलोचक एवं प्रबुद्ध टिप्पणीकार महाराष्ट्र में दो बहिनाबाई हुईं। एक बहिनाबाई को आप उत्तर-मध्यकाल के महान संत-भक्त की तरह जानते हैं। दूसरी बहिनाबाई खानदेश में आधुनिक काल(1880 ई.) में पैदा हुईं, जिनका नाम है- बहिनाबाई चौधरी। बहिनाबाई चौधरी एक सामान्य परिवार में पैदा...
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