देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता :सर्वेश्वर दयाल सक्सेना/ वाचन :सूर्यदेव रॉय

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता :सर्वेश्वर दयाल सक्सेना/ वाचन :सूर्यदेव रॉय

यदि तुम्हारे घर केएक कमरे में आग लगी होतो क्या तुम दूसरे कमरे में सो सकते हो?यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में लाशें सड़ रहीं होंतो क्या तुम दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?यदि हाँतो मुझे तुम से कुछ नहीं कहना है। देश कागज पर बना नक्शा नहीं होताकि एक हिस्से के फट जाने...
बारिश : मंगलेश डबराल, स्वर : प्रियंका गुप्ता

बारिश : मंगलेश डबराल, स्वर : प्रियंका गुप्ता

खिड़की से अचानक बारिश आईएक तेज़ बौछार ने मुझे बीच नींद से जगायादरवाज़े खटखटाए ख़ाली बर्तनों को बजायाउसके फुर्तील्रे क़दम पूरे घर में फैल गएवह काँपते हुए घर की नींव में धँसना चाहती थीपुरानी तस्वीरों टूटे हुए छातों और बक्सों के भीतरपहुँचना चाहती थी तहाए हुए कपड़ों...
सुरजीत पातर कविता चित्रपाठ

सुरजीत पातर कविता चित्रपाठ

सुरजीत पातरकविता पाठ :इतु सिंह (शिक्षिका खिदिरपुर कॉलेज, कोलकाता)ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद कोलकाता अनुपमा ऋतु, इतु सिंह, उपमा...
फ्रेंक ओ हारा, अनुवाद : उपमा ॠचा

फ्रेंक ओ हारा, अनुवाद : उपमा ॠचा

(1926-1966)। अपना परिचय ‘पोइट, नॉट ए पेंटर’ के तौर पर देने वाले  फ्रांसिस रसेल फ्रेंक ओ हारा एक अमरीकी लेखक, कवि और कला समीक्षक थे। उन्होंने आत्मकथात्मक लेखन के अतिरिक्त ‘न्यूयार्क स्कूल ऑफ पोयट’ के सबसे डायनमिक लीडर के रूप में भी नाम कमाया। प्रस्तुत है उनकी कविता ‘इन...
कामायनी (श्रद्धा सर्ग) – आवृत्ति : विवेक सिंह

कामायनी (श्रद्धा सर्ग) – आवृत्ति : विवेक सिंह

आवृत्ति : विवेक सिंहध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद कोलकाता अनुपमा ऋतु, उपमा ऋचा, विवेक...