महादेवी वर्मा : ‘प्रेमचंदजी के व्यक्तित्व में एक सहज संवेदना और ऐसी आत्मीयता थी, जो प्रत्येक साहित्यकार को प्राप्त नहीं होती। अपनी गम्भीर मर्मस्थर्शनी दृष्टि से उन्होंने जीवन के गंभीर सत्यों, मूल्यों का अनुसंधान किया और अपनी सहज सरलता से, आत्मीयता से उसे सब ओर...
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की ने महज़ सुकुमार रंगों को ही नहीं सहेजा, उनकी दृष्टि सृष्टि के उस छोर तक गई, जहां जीवन के सबसे दारुण रंग बिखरे थे। यह समय, यह दुख की दारुण बेला जो हमारे सामने है उसमें उनकी यह कविता और प्रासंगिक हो उठी है। दुख की छाया ने सबको...
तुम्हारे बगैर… रचना : अवतार सिंह संधू ‘पाश’ आवृत्ति एवं संगीत संयोजन : अनुपमा ऋतुदृश्य संयोजन-संपादन एवं प्रस्तुति : उपमा ऋचा अनुपमा ऋतु, अवतार सिंह संधू ‘पाश’, उपमा...
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती पर विशेष मल्टीमीडिया प्रस्तुति ‘वज्रादपि कठोर-मृदुनि कुसुमादपि’ निराला एक विराट समष्टि का नाम है। जीवन को कविता में और कविता को जीवन में उतारकर वंचितों और उपेक्षितों की वेदना, भूख, मान को अपनी आत्मा में महसूस करने वाला...
मालवा की गंध में रचे-बसे नरेश मेहता की जन्मशती के अवसर पर वागर्थ की मल्टी-मीडिया प्रस्तुति प्रत्येक नई अभिव्यक्ति को आरंभ में विरोध सहना होता है, लेकिन वर्चस्व वरेण्य बनकर ही रहता है। कल तक, आज की कविता उपेक्षिता थी, लेकिन आज स्वीकृता है। इसका एकमात्र कारण इस काव्य की...
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