सुरजीत पातर
पंजाबी के वरिष्ठतम कवियों–लेखकों में एक। काफी लोकप्रिय। साहित्य अकादेमी, भारतीय ज्ञानपीठ और भारतीय भाषा परिषद के पुरस्कारों से सम्मानित। पद्मश्री प्राप्त।
रावेल पुष्प
कोलकाता के वरिष्ठ रचनाकार और पत्रकार। कविता संग्रह ‘मुझे गर्भ में ही मार डालो’, यात्रा संस्मरण, ‘मेरी बांग्लादेश यात्रा’। युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान। शोध पत्रिका– ‘वैचारिकी’ में साहित्य–संपादक।
आंसू में समंदर था
इक आंसू ने हरा कर दिया
मीलों तक तो बंजर था
पलकों पर इक बूंद ही आई
दिल में एक समंदर था
दिखने में इक कतरा पानी
क्या कुछ उसके अंदर था
सीने में बिंध आंख से निकला
कैसा यह कोई खंजर था
बिलख उठी धरती से माएं
बेटे के रोने का मंज़र था
ताज मुकुट पड़े सब काले
ढह गया झूठाडंबर था
झूठे तख्त औ’ ताज डूब गए
आंसू में समंदर था
वे तीरथ-स्नान थे आंसू
चक्षु ईश्वर का मंदिर था
धूल धुल गई पेड़ों से
दो पलकों का जलधर था
इक आंसू उन्मान था उसका
कविता में समंदर था…।
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