कविता संग्रह ‘उस देश की कथा’ और ‘किस-किस से लड़ोगे’। कई पुरस्कारों से सम्मानित।
पेड़
उस पेड़ पर
मैनों का एक घोंसला है
घोंसले में उसके चूजे हैं
उसी पेड़ पर
मधुमक्खियों का एक छत्ता है
छत्ते में उनका मधुकलश है
उसी पेड़ पर
गिलहरियों की धमाचौकड़ी है
धमाचौकड़ी में उनकी मौज है
उसी पेड़ पर
चींटियों की गश्ती है
गश्तियों में उनकी हस्ती है
उसी पेड़ की फुनगियों पर
नीले, पीले, भूरे, चितकबरे
आप्रवासी पक्षियों का घेरा है
घेरा ही उनका डेरा है
उसी पेड़ की छाया तले
आदमियों और जानवरों का मेला है
एक पेड़ को काटकर
न जाने
कितनों के बसेरों को
उजाड़ देते हैं हम।
मुक्ति
अकेला हो जाने का भय
जब गहराने लगा
तभी उसे याद आया
सूर्य के अकेले जलने का
चंद्रमा के अकेले चलने का
अकेले ही इस दुनिया में आने का
अकेले ही इस दुनिया से जाने का।
संपर्क :348/4 (दूसरी मंजिल), गोविंदपुरी, कालकाजी, नयी दिल्ली-110019मो.9910744984
सटीक और सारगर्भित अभिव्यक्ति