युवा कवि। कटिहार में रेल कर्मचारी।

बंदूक की खेती

मेरे पास अनाज है
मैं इसे धरती में बो सकता हूँ
और उगा सकता हूँ ढेर सारे अनाज

अनाज उगाना दरअसल प्रेम करने जैसा है
हमेशा कई गुना लौटाकर देता है

तुम्हारे पास बंदूक है
तुम इसे बो नहीं सकते
उगा नहीं सकते ढेर सारी बंदूकें

क्योंकि बंदूक बोने से
बंजर हो जाती है धरती
उगते नहीं हैं फूल

फिर भी तुम अकड़ रहे हो, दोस्त!
पर, मुझे तुम पर तरस आता है
तुम्हारे घाटे की खेती देखकर।

सूरज

मुझे लगता है
सूरज एक लोहार है
जो रोज अपनी भट्ठी सुलगा कर बैठ जाता है
और तपा तपाकर निकालता है
हल, कुदाल और हथौड़े जैसा लोहा

ताकि दुनिया में लोहे की कमी से
कोई जरूरी काम न रुक जाए।

गेहूँ की बाली

बुरा मत मानना, प्रिये!
इस बसंत भी मैं तुम्हारे लिए
कोई गुलाब नहीं लगा सका
उसकी जगह फिर से
उगा दिए हैं गेहूँ के कुछ पौधे

इस यकीन के साथ
कि तुम्हारे केशों में
पके हुए गेहूँ की बालियां
गुलाब से कहीं अधिक खूबसूरत लगेंगी।

सरसों के फूल

मैंने सुना है
तुम्हें फूल बहुत पसंद हैं
और मैं अपने खेतों में फूल नहीं उगाता
ये मेरे किसी काम के नहीं

पर
समय- समय पर मेरे खेतों में भी
कुछ फूल लगते हैं
जो शायद तुम्हें पसंद न आएं
क्योंकि उनसे पसीने जैसी गंध आती है
यदि तुम बर्दाश्त कर सको इन गंधों को
तो चली आना
मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा
अपने खेतों में सरसों के फूल झड़ने तक।

संपर्क : वरिष्ठ अनुभाग अभियंता का कार्यालय, दालकोला रेलवे स्टेशन के बगल में, पोस्ट+थानादालकोला, जिलाउत्तर दिनाजपुर, पश्चिम बंगाल-733201 मो.7909062224

Painting : Niki Gulley