विवेक सत्यांशु, इलाहाबाद: संपादकीय सुखवाद पर ज्ञान की श्रेष्ठ को स्थापित करता है। कहानियां सभी अच्छी हैं, लेकिन जसिंता केरकेट्टा की कहानी ‘अंतिम वार’ संवेदना के धरातल पर स्पर्श करने वाली और चेतन को झकझोर देने वाली कहानी है। नगेन शइकिया की असमिया कहानी ‘बहुत शर्म आई’ उपदेश देने वाले आत्मश्लाघा से ग्रस्त लोगों पर तमाचा मारती है। जो बात बहुत करते हैं लेकिन एक अभावग्रस्त लाचार व्यक्ति की मदद करने में पीछे हट जाते हैं। मदद करते हैं आवारा जैसे लगने वाले बेरोजगार नौजवान।
कविताओं को हर बार की तरह काफी पृष्ठ दिए गए हैं। इंदु श्रीवास्तव की एक गजल कई कविताओं पर भारी है। विनय सौरभ की ‘बुजुर्ग डाकिए ऐ भेंट’ बहुत अच्छी कविता है। पिता पर कुमार विश्वबंधु की चार कविताएं संवेदना के धरातल पर स्पर्श करती है। इस अंक के दूसरे पृष्ठ पर शक्ति चट्टोपाध्याय की कविता ‘तुम्हारा हाथ’ अद्भुत कविता है। इतिहासकार हेरम्ब चतुर्वेदी का लेख ‘कृत्रिम बुद्धि के दौर में इतिहास लेखन’ इतिहास लेखन के नए आयाम को स्पर्श करता है, जो अंक को विशिष्ट बनाता है। राजमोहन गांधी का साक्षात्कार गांधीवादी मूल्यों को व्यापकता प्रदान करता है। ‘हिंदी कहानी का वर्तमान’ पर परिचर्चा सार्थक है। बहुत सारे अच्छे कहानीकारों की सिर्फ इसलिए चर्चा नहीं होती, क्योंकि वह किसी लेखन संगठन में शामिल नहीं होते। संगठनों में रहने वाले तृतीय श्रेणी के लोगों की भी चर्चा होती है।
अंग्रेजी से अनूदित मीना कंदसामी की कविताएं नए धरातल की तलाश करती हैं। समीक्षा संवाद से नई कृतियों की जानकारी मिलती है। सीरियाई कवि निजार कब्बानी की कविता ‘यह मेरा आखिरी खत है’ रागात्मक प्रेम की कविता है जो पूरब के भागम-भाग पर सार्थक ढंग से प्रहार करती है। अंक अपनी समग्रता में पठनीय है।
पुष्पांजलि दाश:‘वागर्थ’ टीम को अशेष मंगलकामनाएं। आज के यांत्रिक काल में ‘वागर्थ की भूमिका साहित्य के प्रति अभिरुचि बढ़ाने में और पाठको के हृदय को स्पर्श करने की अद्भुत क्षमता है। प्रत्येक अंक नए विषय के प्रति नए ढंग से सोचने और जानने के लिए विवश करती है। आपके द्वारा संपादित उम्दा लेख अतित, वर्तमान और भविष्य के प्रति चिंतन और सजगता से भरा मंजूषा है। समस्त पाठकों और साहित्यकारों को भी बधाई। नचिकेता प्रसंग इस युग में प्रासंगिक है। लोग श्रेय से अधिक प्रेय के प्रति आकर्षित है। इसलिए तो विश्व में त्राहि त्राहि मचा है।
जनवरी अंक में जसिंता केरकेट्टा की कहानी ‘अंतिम वार’ वर्तमान व्यवस्था पर ज्वलंत प्रश्न है। बदलते सांस्कृतिक सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक जीवन मूल्यों का विघटन के परिणाम और बौखलाहट का जीवंत दस्तावेज है।
राजा अवस्थी: वागर्थ के दिसंबर 2023 अंक में हरिशंकर राढ़ी की कविता अच्छी लगी। गद्य में होने के बावजूद काव्यत्व से भरी लगी, यह कविता। रागात्मकता इसकी विशेषता है।