सुप्रसिद्ध साहित्यकार, बच्चों के प्रिय लेखक। ‘नंदन’पत्रिका के संपादन से जुड़े रहे। अब स्वतंत्र लेखन। हिंदी में बाल साहित्य का पहला बृहत इतिहास ‘हिंदी बाल साहित्य का इतिहास’लिखा।
कितने सुंदर लगते हैं काम करते लोग
कितने दमकते हैं उनके चेहरे
जब वे अपनी रौ में होते हैं
और जा रहा होता है काफिला
एक मंजिल से दूसरी मंजिल की ओर
राह के आँधी-पानी और तूफानों के सिर पर नाचता
कितने सुंदर लगते हैं लोग
खरी हिम्मत से जूझते और जीतते आपदाओं में भी
कितनी सुंदर लगती है दुनिया
काम करते लोगों से
माँ कोई और ही माँ लगती है
जब वह रसोई, बरतन और कपड़ों से निबटकर
डाल रही होती है बड़े जतन से आम का अचार
घर के सब परानियों के सपनों और नायाब खुशबुओं से लदी
उसके लिए तैयारियां सुबह से ही चल रही होती हैं
पर जिस क्षण मिल रहे होते हैं ये सारे तत्व
दुनिया का सर्वोत्तम स्वाद बनाने के लिए
माँ के चेहरे पर झिलमिलाता है सुबह का सूरज
माँलगती है दुनिया की सबसे सुंदर माँ
बेटियों के टिफिन को
हर पल स्वाद और आनंद से भरते हुए
कितने सुंदर लगते हैं पिता
जब वे अपनी आड़ी-तिरछी लिखाई वाली लकीरों से
बना रहे होते हैं दुनिया की सबसे भोली मगर अनमोल आकृति
कितना सुंदर लगता है जमीन को भुरभुरा करके
फिर से हरा-भरा करने का सपना संजोए आँखों में
बीज बोता किसान
जो जमीन के साथ मन को भी हरियाता है
इतनी ही सुंदर लगती है मजदूर की कुदाली और फावड़ा
एक ही जगह टिकी मगर रात-दिन हवा में नाचती
दर्जी की सिलाई मशीन…
मोची का ठीया जिस पर एक बार आने के बाद
जूता टनाटन होकर निकलता है
और बढ़ जाती है उसके साथ-साथ कुछ हमारे भी जीने की आस
सुंदर लगता है किसान
सुंदर लगता है मजदूर
सुंदर लगता है कमीज सीने के बाद
करीने से काज टांकता दर्जी
सुंदर लगती है कर्मलीन माँ
सुंदर कितनी सुंदर लगती है धरती
हरी-भरी फसलें उगाने के बाद
किसी वत्सला माँ की सी
हरे-हरे पत्तों और हरी खुशियों की चूनर लहराती-सी
सुंदर लगता है रिक्शा चलाता
हाजीपुर का अवधू रिक्शावाला
सब्जी बेचती पारस गांव की लछमी
और सुबह उठने से लेकर शाम तक काम में डूबे पिता
और बच्चा जिसे ड्राइंग की कापी में
दोस्तों के साथ पिकनिक का चित्र बनाना है
और इस बार ‘नंदन’ की चित्रकला प्रतियोगिता का इनाम जीतना है
सुंदर है दुनिया सचमुच सुंदर
काम करते लोगों से
जिससे भीतर की नमी चेहरों पर आ जाती है
और हम एकाएक जान जाते हैं कि काम करते लोगों की सूरत ही
असल में होती है भगवान की सूरत।
संपर्क: 545, सेक्टर-29, फरीदाबाद-121008 (हरियाणा), मो. 9810602327 / ई मेल –prakashmanu333@gmail.com
Kavi prakash Manu ki lekhni Sahaj hai.. Aisi jo chhote chhote kshano ko rok-kar usse bhent karti hai. uske chehre ko nihaarti hai.. Dekhti hai ke ye aaj ye kal ye pal kitne sundar hain!
..itni sahaj drishti isliye bhi vishesh hai kyonki ab sahajta.. manushyta ke liye itihas ki vastu banti jaa rhi…
सुंदर है दुनिया बहुत सुंदर है
बेशक परिश्रम संसार को सुंदर बनाता है।