नवोदित कवयित्री।पत्रपत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।

मेरे पास थे बासमती अरवा
ब्राउन चावल उपलब्ध
लेकिन मैंने पकाया तसले में
उसना चावल का भात
मेरे पास थे रहड़ मसूड़ मूंग राजमा उपलब्ध
मैंने पकाई रसोई में चने की दाल

मेरे पास थे शीशे फाइबर स्टील फुलवा थाली
भरे पड़े थे सभी तरह के बरतन
पर मैंने पकवान परोसा केले के पत्तों पर

मेरे पास थे रेडिमेड खाने की वस्तुएं
महंगे सामान उपलब्ध
फिर भी मैंने कड़वे तेल में
झांझ देने वाली सनसनाहट में
छाना चक्का प्याजुवा बजका मिर्ची भिंडी
परवल कद्दू बैंगन आलू के पकौड़े
साथ में चरोड़ी
उसके पास समय नहीं था
मैंने, सेकेंड-मिनटों की दूरी में
उसे प्रेम का भेंट दिया
वह शहर लौटना चाहता था
अगली फ्लाइट से उस शहर से
जिस शहर में कुछ देर पहले ही उसने
कदम रखा था
मैं खिला देना चाहती थी उसे सबकुछ
जो वह कस्तूरी मृग की
भांति ढूंढता फिरता था
जिसका स्वाद वह अपने गांव में छोड़कर
जा चुका था कई साल पहले
पढ़ाई और नौकरी की तलाश में शहर

वह किसान परिवार का किसान बेटा था
इसलिए मैंने सारे पकवानों की महक में
उसे उसका गांव लौटाना चाहा।

संपर्क :द्वारा श्री दिवाकर सिंह, एस के पुरम, लेन नं.-8, आर्य समाज मंदिर रोड, आर.पी.एस.मोड़, बेली रोड, पटना-801503  मो. 6202685047