युवा कवयित्री। दो कविता संग्रहलक्ष्यऔर कहीं कुछ रिक्त हैप्रकाशित।

स्त्रियाँ

बंधा है उनका आकाश
बंधी है उनकी ज़मीन
वर्जनाओं के शहर में
नपी-तुली हवाओं से
जीने वाली औरतें
आकाश को ठेलकर अपनी
जगह बनातीं हैं और
अपने गगन का सूर्य बन जाती हैं।

औरतें

उन्हें काग़ज़ और कलम की ज़रूरत नहीं
कविताएं लिखने के लिए
वे तो भात के खौलते पानी और
सब्ज़ी की गमगम ख़ुशबू में
कविताएं रचती हैं
बच्चों के लिए रात-रात भर
जागने वाली स्त्रियाँ
चांदनी रात की स्निग्ध रोशनी में
लोरियों की तानों में
कविताएं रचती हैं
बाहर के अनगिनत कामों का
निबाह करने वाली स्त्रियाँ
अपने लिए जगह बनाती हुईं
खड़े-खड़े ही भरी बस में
कविताएं रचती हैं
परिवार के लिए कुशल-क्षेम
चाहने वाली स्त्रियां दूर रह कर
अपने एकांत पलों में विस्मृत होती
यादों को ताजा करती हुई
अपने आंसुओं में
कविताएं रचती हैं।

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