वरिष्ठ कवि।अब तक दो कविता संकलन प्रकाशित।संप्रति अध्यापन।

एक दिन
जब तुम मुझे याद करोगी
तब मैं
तुम्हारे कमरे के गुलदस्ते में
मुरझाए
बासी फूल की सुगंध की तरह
दूर जा चुका होऊंगा
तुम छोड़ोगी
अपनी यादों को मेरे पीछे
और वे लौट आएंगी
मायूस होकर
अलमारी की किताबों से धूल झाड़कर
खिड़की के पर्दे के कोने से
अंदर आती धूप में
तुम देखना चाहोगी मुझे एक सपने की तरह
और मैं वहां नहीं मिलूंगा तुम्हें
तुम अपनी आंखों से निकलने को बेताब
तपते आंसुओं को सहेज लेना
तुम चाहोगी निरीह कोरों में
उनके ठंडा होने पर
अनुभव करोगी मेरा वजूद।

संपर्क : गांवलंघू, डाकघरगांधीग्राम, तहबैजनाथ, जिलाकाँगड़ा, हि.प्र.-176125 मो.9418193024