साहित्य और संस्कृति कर्म के अलावा जन–आंदोलनों से गहरा जुड़ाव।वर्तमान में ‘आखर’ साहित्यिक– सांस्कृतिक मंच से संबद्ध। |
सपने
सपने देखते हुए अकसर सोचता हूँ
बहुत हैरत से भर कर
दुनिया में कितनी-कितनी तरह के होते हैं सपने
कुछ सपने
सिर्फ जमीन के
एक टुकड़े के बराबर होते हैं
कुछ सपने सिर्फ एक घर के
कुछ सिर्फ एक रोटी के बराबर
कुछ सपने सिक्कों के
कुछ सोने-चांदी, हीरे-मोती के
कुछ एक देश को पारकर
कई देशों के बराबर
कुछ पूरी दुनिया को नाप लेना चाहते हैं
कुछ सपने ऐसे होते हैं
जो किसी नाप-तौल की भाषा में नहीं होते
कुछ पाने-खोने की भाषा में नहीं होते
अपना सब खो देने की
बहुत अलग तरह की भाषा में होते हैं
बहुत बड़े, बहुत ऊंचे उठे हुए
बहुत दूर क्षितिज तक देखते हुए
पूरी दुनिया के दुख का सागर
वे दिल में संजोए होते हैं
बहुत बड़े सपनों के तैरने के लिए चाहिए
आंखों में बहुत अधिक पानी
कुछ बड़े सपने
इस दुनिया में
एक और दुनिया रचने के लिए होते हैं
जल-भरे मेघ वाले
आकाश होने के होते हैं
हमारी दुनिया अगर बेहतर हुई है
पहले से अधिक खूबसूरत हुई है
ऐसे ही सपनों की वजह से
कुछ सपने
बहुत डरावने पंजों की तरह होते हैं
कुछ सपने आग के डैनों की तरह
कुछ अणुओं-परमाणुओं को
तोड़ने के होते हैं ताकत के सपने
कुछ सपने दुनिया में काले सूरज की तरह आते हैं
इनसे दुनिया अगर बचती रही है
तो सपनों से भरी नन्ही आंखों की वजह से
यह समय पानी के सूखने का समय है
यह समय दुनिया के डूबने का समय है
यह समय
आंखों में पानी भर आने का भी समय है
धरती के ताप से तपने का समय है
यह समय
आकाश के बराबर होने का समय है
यह समय नदी बनने का समय है
यह समय
समुद्र बनकर लहरों की तरह उठने का समय है
यह समय
ऐसे ही सपनों को लेकर चलने का समय है
एक पल भी देर करने का नहीं है!
संपर्क : 38/28, अमरनाथ झा मार्ग, इलाहाबाद– 211002 मो. 9140569541
बहुत बढ़िया कविता
बहुत महत्वपूर्ण कविता