कवि और समाज विशेषज्ञ। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फेलो थे।

1-गांधी बाबा के लिए

उस उम्र के अंदर
जब कवि पुरस्कृत हो जाना चाहते हैं
आलोचक मशहूर
कोई रट्टू तोता कलेक्टर हो जाना चाहता है
तब उसने सोचा कि वह देश घूमेगा
एक उम्र की ढलान पर
जब कोई राज्यसभा जाना चाहता है
बुढ़ा रहा या चुक गया लेखक
साहित्य अकादमी से पुरस्कार चाहता है
तब उसने सोचा कि वह दांडी जाएगा
उस उम्र में
जब आदमी गमले में भिंडी उगाता है
नाखून घिसता है पार्क में बैठकर
गया-जगन्नाथ जाता है
उसने कहा कि वह जाएगा उनके घर
जिनके घर लगा दी गई आग
पता नहीं क्यों आजकल के कवि
गांधी पर कविता नहीं लिख पाते
गांधी लालची नहीं थे
डरपोक नहीं थे
हिंसक और मदांध नहीं थे
गांधी को जाना था जहाँ
गांधी जानते थे
एक डरी और लालची पीढ़ी
जिसके दोस्त नहीं
गांधी पर क्या खाकर
क्या पीकर
दिल्ली क्या ले जाकर कविता लिखेगी?

2-किसी के मर जाने पर

किसी के मर जाने पर
पिता तेज साइकिल चलाकर
कफन ले आते थे
बड़ी जल्दी जुटा लेते थे
सूखी लकड़ियाँ
पिता बांस काट लाते थे
टिखटी बनाने के उस्ताद थे
वे पूरे गांव- जंवार में
किसी के मरने पर रोते नहीं थे
बस बीड़ी पीते थे पिता
पिता बीड़ी में दुख पी जाते थे
लोगों के मर जाने का
तेज साइकिल चलाकर पिता मृत्यु से बतिया लेते थे
कफन खरीदकर
बांस काटकर
टिखटी बनाकर
पिता आश्वस्त हो जाते थे
मौत एक दिन आहिस्ता
उतर आएगी सीने में
बीड़ी के धुएं जैसी
तुम्हरी मौत के बाद ओ पिता!
साइकिल कबाड़ में पड़ी है
बांस के जंगल खत्म हो गए
कफन तो बनिया खुद दे गया किश्त पर
मुझे बीड़ी पीने पर खांसी आ जाती है
सबके लिए आसान नहीं है
बीड़ी पीना
मौत के बारे में सोचना।

 

संपर्क: द्वारा डॉ.खुशबू सिंह, 109/205, फ्लैट नं.104, जे.एस.टावर, जवाहर नगर, कानपुर-208012

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