वरिष्ठ कवि।अद्यतन कविता संग्रहइस घर में रहना एक कला है। सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त।

यह मेरा पौधा है
मैं ही डालूंगा इसमें पानी खाद
किसी को नहीं दूंगा इसे

कैसे करूं दूसरों पर भरोसा
वे नहीं जानते मिट्टी की तासीर
इल्लियों से लड़ने का कहां सबके पास हुनर
मेरा आह्वान, आह्वान है
मेरी म्यान में गौरव से रहतीं सारी तलवारें
मैं रच सकता हूं जोशीला संगीत
मेरे कंठ की दुर्लभ कला के बिना
तेजहीन सब नारे
मैं अपना घोषणापत्र किसी को नहीं दूंगा

कोई समझे तो समझे मुझे बड़बोला
पर मैं ही जानता हूँ
पर तोड़े गए बार-बार सिर्फ़ मेरे घुटने
जलाया गया हमेशा मेरा घर
खबरदार ,
किसी ने जो मिलाया मेरे क्रोध में अपना क्रोध
मेरी चिनगारी के पास न फटके अन्य चिनगारियां
करुणा के जल को पसंद है
सिर्फ़ मेरी आंखों कासमुद्र
मेरी डाल पर खिल सकता है
मनुष्यता का सबसे सुंदर फ़ूल

मैं अपनी लहर को नदी मानूंगा
कहूंगा अपनी चट्टान को समूचा पहाड़
भले ही मुक़ाम पर पहुँचे, न पहुँचे कोई कारवां
या कोई कहे एक घुन अब मेरा घर
तेजस्वी नासूर मेरा आदर्श
लेकिन मैं अपना परचम
किसी आंदोलन को नहीं दूंगा।

संपर्क : नई पहाड़े कॉलोनी, जवाहर वार्ड, गुलाबरा छिंदवाड़ा जिला – छिंदवाड़ा  (मप्र) 480001 मो.8718903626 / ईमेल – mohankumardeheria@gmail.com