युवा कवि। काव्य संकलन : जंगल में पागल हाथी और ढोल, पीठ पर रोशनी (काव्य संकलन), ढुकनी एवं अन्य कहानियाँ (कहानी संग्रह)

बेटियां

बेटियां
अपने पिताओं की
कभी मित्र नहीं बनतीं
गोद से उतरकर
वे बन जाती हैं
अपने पिताओं की माँ …

पिता भी सहज स्वीकारता है
उथले तल में समाए चंचल सागर से
इस रिश्ते को
जिसकी उत्ताल लहरें
तादात्म्य में उठती और गिरती हैं
पिता की भावनाओं के साथ….

बड़ी होती बेटियां
शीघ्र ही रखने लगती हैं
पिता की दवाइयों के साथ-साथ
उनके दुख-दर्द का हिसाब
उनकी विवशताओं मजबूरियोंलाचारियों को
ढांप लेती हैं अपनी पलकों से
अपनी मुस्कराहट से पीड़ा के तीक्ष्ण लवण पर
लगाती है चासनी की परत

कम खर्च में घर चलाने की विधियां
इच्छाओं को दबाकर मुस्कराने की कला
पिता से उधार ले लेती हैं बेटियां

बेटी ब्याह की चिंता में
अकेले पिता ही दुबले नहीं होते
दुबली होती हैं बेटियां भी।

बेटी और पिता

चिड़ियों के बोलने का
क्या कुछ होता हैअर्थ
हमारे लिए ?

पर अच्छा लगता है
जब बोलती हैं चिड़ियां
उनके बोलने से कायम होता है
एक अदृष्ट सेतुबंध
हमारे और प्रकृति के मध्य
उनके बोलने से
जीवन भरता है
आनंद के मीठेपन से

अच्छा लगता है
जब बोलती हैं बेटियां

बेटियां चिड़ियां होती हैं
एक दिन उड़ जाती है फुर्र से
पास रह जाती हैं
उनके होने की मधुर स्मृतियां
जिसे पिता
अपनी सबसे बहुमूल्य थाती बनाकर
रखता है संभाले उम्र भर

ताकि ईश्वर को दे सके
सबसे अनुपम उपहार
इस जीवन के बाद।

पिता

वृक्ष के उखड़ने का शोक
सबसे ज्यादा
उस किसान को नहीं होता
जो खाता है उसका फल
बल्कि उस चींटी को होता है
जिसने बनाई होती है
वृक्ष की छाया में बांबी
वृक्ष के उखड़ते ही
दरक जाता है उसका घर
मिट जाता है
एक अदृश्यअभौतिक घेरा
जिसके भीतर वे महसूस करती हैं
खुद को सुरक्षित

पिता होते हैं सख्त मिट्टी की मोटी परत
जिसके नीचे गड़ी होती है
मजबूती से
आदमी की जड़ें

पिता के जाते ही
आदमी आ खड़ा होता है
नंगे सर
तपते सूरज के नीचे
अपनी परछाई में
तलाशते हुए एक टुकड़ा छांव

जिंदगी की विशालता
खारेपन को जन्म देती है
जीवन का समंदर
वापस लौट जाना चाहता है
पहाड़ों के पास बार-बार
पिता के कंधों पर होकर सवार
उनकी उंगलियां थामे
नन्हें-नन्हें कदमों के साथ
मीठे पानी के छोटे सोतों की ओर

ओ पिता!
अब जब शेष है
स्मृति के कोठार में
आपकी छाप
मैं अपने आपको महसूस करने लगा हूँ
अपनी उम्र से बड़ा
धीमे-धीमे पहाड़ की ओर
कदम बढ़ाते हुए।

संपर्क: ‘आशीर्वादबुद्ध विहार, पोस्ट-अशोक नगर, राँची – 834002, झारखंड मो. 8789263238/ ईमेल- neerajcex@gmail.com