युवा लेखिका। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रबंधन के पद पर कार्यरत।
प्रार्थना
मैने ईश्वर से मांगा प्रेम
और मुझे मिला धरती का मौन
मैने ईश्वर से मांगे रंग
और मुझे मिला दो सितारों के बीच का
रिक्त आकाश
मैंने ईश्वर से मांगा संगीत
और मुझे मिला धूप का एक गूंगा टुकड़ा
मैने ईश्वर से मांगी मृत्यु
और मुझे मिला फिर वही वसंत।
प्रेम
जरा कहो तो
किससे सबसे अधिक प्रेम है ईश्वर को-
क्या वह है कविताओं की पीली रोशनी के बीच
अपने तांबई बाल काढ़ती
बीमार चेहरे वाली लड़की?
या फिर किसी पहाड़ी गांव के सिरे पर
कुएं के भीतर झांकते बच्चों के ललाई वाले चेहरे?
क्या वह है पागलखाने की खिड़की से
बूढ़े चांद को निहारता एक नवयुवक
जिसे उसकी प्रेमिका ने
कभी दिया था केवल सत्य बोलने का श्राप!
या अपने ही बोझ से ढहता क्रांति का
एक बैंजनी पहाड़?
सच बोलो
यदि नहीं होता ईश्वर के सीने में
एक प्रेमी का हृदय
तो क्यों फूंक मारकर भरता सौंदर्य की आत्मा
किसी मलबे में पड़ी
एक उदास गुड़िया की आंखों में?
कैसे मरे भैया
कोई मुझसे पूछता कि कैसे मरे भैया?
मैं जवाब देती: झींगुरों के संगीत से।
कोई मुझसे पूछता कि कैसे मरे भैया?
मैं जवाब देती: अपनी ही चमक में उलझकर-
लड़खड़ाकर गिरती बरखा की चीख से
कोई मुझसे पूछता कि कैसे मरे भैया?
मैं जवाब देती: एक बच्चे की
टूटे दांतों वाली खिलखिलाहट से
जिसे मैंने धूप के सिक्कों के बदले खरीदा था
कोई मुझसे पूछता कि कैसे मरे भैया?
मैं जवाब देती: ज़िंदगी की तेज़ कौंध से।
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बहुत खूब लिखा हैं, जब कलम लिखे तो हृदय की गहराई से लिखे, शब्दों के ताल मेल का रस इतना हो कि शहद भी उसके आगे फीका लगे। कुछ यूं लिखा हैं आपने जैसे खामोश ब्रह्मांड में एक महिमा सी गुंजन ने हलचल मचा दी हो ईश्वर के करुणामय ह्रदय में।