कवि एवं मीडियाकर्मी।
जीवन की करो गिनती
इससे पहले कि
अंधेरा पोत दे काला रंग
सफेद रोशनी पर
फैला जो है उजास
उसकी बातें करो
अंधेरे की बूंद को समुद्र मत बनाओ
इससे पहले कि
मृत्यु अपने को बदल दे शोर में
गीत गाओ, सुनाओ
जीवन की रागिनी गुनगुना रही है
श्रवण के सारे द्वार खोलो
कैनवास भरा है सुर से, संगीत से
मौत की छींटों को मत बनाओ बड़ा
विषाद का आनंद लेनेवाले
जिजीविषा पर कर दें हमला
इससे पहले
उलट दो गणित को
जीवन की करो गिनती
रिक्ति को संपूर्ण पर मत बिठाओ।
घोंसले में प्यार
जैसे बेली में होती है भीनी खुशबू
चांद में उजली नरमी
बयार में नींद
बौर में महक
छुईमुई में लाज
जैसे घोंसले में होता है प्यार
हेमंत में कोंपल
तितली में अबोध रंग
वैसे ही बेटी में होता है कुछ
इन सबका मिला हुआ
एक पराग होता है उसमें
जो उसके फूल बनने से पहले
कली बनने से भी पहले से
उसमें होता है
और झरता रहता है।
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