कवि, लेखक और नाट्यकार। करीब पचास नाटकों का लेखन।

1.
एक मौका तो
दुनिया में सबको मिलता है
तुमने वह धोखा देने में गंवा दिया
हमने यकीन करने में।

2.
कुछ लिखकर
अपनी निगाहों में भी
कुछ छोड़ दिया करो
मुझे इनको पढ़ना अच्छा लगता है।

3.
करीब होकर भी
नजर न आना
सिर्फ कोहरे की वजह से नहीं होता
सर्द हो गए जज्बात भी
नहीं देखने देते आपको दूर तलक।

4.
मुझसे होकर ही गुजरता है रास्ता
मुझे जख्म देने का
यूं ही कोई
करीब नहीं आता।

5.
उसने पूछा कैसे हो?
मैने कहा कि
अदरक सी हो गई है जिंदगी
कहीं उभरी हैं यादें तुम्हारी
कहीं खुशियां हैं दबी हुई।

द्वारा स्व.श्री द्वारकादास वैष्णव, बी61, प्रतापनगर, जोधपुर342003 मो.7976071275