वरिष्ठ कवयित्री।कविता संग्रह ‘जंगलों में पगडंडियाँ’, ‘पेड़ों पर हैं मछलियाँ’, ‘बारहखड़ी से बाहर’।संप्रति न्यायाधीश, बिहार न्यायिक सेवा।
उम्मीद
पतझड़ के बाद
पेड़ की उम्मीदें खत्म नहीं होतीं
पर युद्ध
खत्म कर देता है
उम्मीदों की भी उम्मीद।
युद्ध से परे
युद्ध में
अपने दोनों हाथ खोने वाले बच्चे को
अब भी फिक्र है
डूबती हुई चींटी को बचाने की
क्योंकि संवेदना रक्त में बहती है
संस्कार की तरह
युद्ध से अप्रभावित, परे व शुद्ध।
सौदा
तुम्हारा सीना चीर कर उगते हैं
हिंसा के दरख्त
अपनी जड़ों को फैलाते हुए
धीरे-धीरे समाते जाते हैं
तुम्हारे अस्तित्व की आखिरी तह तक
और कर देते हैं सौदा
लहू और आत्मा के बीच।
संपर्क :अपर ज़िला न्यायाधीश, बिहार शरीफ, ज़िला– नालंदा, बिहार–८०३१०१, मो.८७०९७५५३७७