युवा गजलकार। ‘बस इतना ही…’ (कविता संग्रह)’, ‘शरद की धूप’ (ग़ज़ल संग्रह)। संप्रति अध्यापन।
ग़ज़ल
आज जो तकलीफ़ में ये ज़िंदगी है, ग़म न कर
दर्द में तू ही नहीं, हर आदमी है, ग़म न कर
देखता हूँ जिन गुलाबों की खिली कलियां यहां
बाग में कांटों घिरी वह हर कली है, ग़म न कर
क्या हुआ जो रात लंबी है, घनी काली भी है
रात के उस पार दिन की रोशनी है, ग़म न कर
मानता हूँ पीठ पीछे मौत तेरे है खड़ी
ज़िंदगी भी सामने तेरे खड़ी है, ग़म न कर
क्या हुआ जो चांद छिप बैठा घटा की ओट में
बादलों के ठीक पीछे चांदनी है, ग़म न कर।
संपर्क : राम कृपा कुंज, नजदीक सेतिया पैलेस, बाईपास रोड, ऐलनाबाद, जिला सिरसा, हरियाणा–125102 मो. 9813561237