युवा गजलकार। ‘बस इतना ही’ (कविता संग्रह), ‘शरद की धूप’ (ग़ज़ल संग्रह)।संप्रति अध्यापन।
गजल
हमारे हौसलों को डगमगाने आ गई दुनिया
चढ़े जैसे ही हम ऊपर, गिराने आ गई दुनिया
सफलता क्या मिली, हिस्सा बंटाने आ गई दुनिया
न जाने कौन-से रिश्ते निभाने आ गई दुनिया
किसी मरते हुए को तो बचाने एक न आया
मगर हां, वीडियो उसका बनाने आ गई दुनिया
कभी अपने गिरेबां में न देखा झांककर इसने
कमी क्या-क्या हमारी है, गिनाने आ गई दुनिया
दुखी होकर मैं जब रोता, तमाशा देखती थी ये
करी कोशिश जो हँसने की, रुलाने आ गई दुनिया
तभी तक काम का था मैं, कि जब तक जान थी मुझमें
इधर ये जान क्या निकली, जलाने आ गई दुनिया।
राम कृपा कुंज, नजदीक सेतिया पैलेस, बाईपास रोड़, ऐलनाबाद, जिला सिरसा (हरियाणा–125102 मो. 9813561237