गुजराती कवि–नाटककार। तीन कविता संग्रह और तीन नाटक प्रकाशित।
बंद पड़ा हुआ फिल्म स्टूडियो
सन्नाटे में खड़े हैं अनेक लोकेशन
खड़ा है ब्रिटिशकालीन जेल का टूटा-टाटा सेट
शहीदों के बलिदान की गवाही देता
हालांकि अब यहां
दुनिया से छिपकर आनेवाले प्रेमी जोड़े
खींचते रहते हैं सेल्फ़ी
लाला की हवेली के कट-आउट
और डकैत के अड्डे के बीचोंबीच
खड़ी है अदालत
जहां न्यायाधीश की कुर्सी के पीछे
अभी भी मौजूद है गांधीजी की जर्जर तस्वीर
लेकिन अब कुर्सी पर न निडर जज बैठते हैं
न ही सुनाई देती है अपराधी की
रूह को दहला देनेवाली बुलंद आवाज
वहां नक्काशीदार भव्य सीढ़ी के
पासवाली दीवार पर
लहूलुहान हिरण पर चढ़े
मुंह फाड़े बाघ का चित्र है
यहां आकर अनेक बार कैमरे स्थिर हो जाते थे
किसी बेबस औरत की चीख के साथ
यहां गन्ने के खेत और देहात का सेट
कई-कई बार जल उठते थे
जिसे बुझाने दौड़ते थे
कंकाल पर चमड़ी लपेटे हुए गरीब किसान
करुणतम संगीत के साथ
उस ओर पुरानी रेलगाड़ी के डिब्बे पड़े हैं
जिनकी खिड़कियों से
अब यदा-कदा झांकती हैं भेड़-बकरियां
जहां किसी ज़माने में बैठा करता था
गांधी बना हुआ अभिनेता
नए भारत का सपना देखते हुए
वह बड़ा लाल धब्बोंवाला मैदान
जिसपर फैल रहा है
केमिकल फैक्टरी का गंदा पानी
इसी पर तो फिल्माया गया था कलिंग युद्ध
जहां क्षत-विक्षत मृतदेहों के बीच
तलवार पर सिर टिकाए
घुटनों के बल बैठता था सम्राट अशोक
पश्चाताप की मुद्रा में
बंद पड़े हुए इस फिल्म स्टूडियो के
बड़े से दरवाजे पर
मुहर लगा हुआ ताला जड़ा है
और एक काला बोर्ड लटक रहा है
जिसकी लिखावट करीब करीब मिट चुकी है
बस अंतिम शब्द दिखाई पड़ते हैं साफ-साफ
‘बाइ ऑर्डर’!
(अनुवाद स्वयं कवि द्वारा)
संपर्क : एच-901, साम्राज्य फ्लैट्स, मानव मंदिर के पास, मेमनगर, अहमदाबाद-380052 मो.9426245700