विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।‘अंश काल्पनिक बस्ती’ के मुख्य संपादक के रूप में कार्यरत।
तड़प
मैंने देखा है
सागर के उस ज्वार को
चांद के सिर्फ एक स्पर्श के लिए
पहाड़ के झरनों को
नदी में समर्पित होने के लिए
तड़पते हुए
मैंने देखा है
उस थके पांव को
दूर कहीं मंजिल पाने के लिए
सागर में सीपियों को
स्वाति की एक बूंद के लिए
तड़पते हुए
मैंने देखा है
उस रेत पर प्यासे राहगीर को
एक घूंट पानी के लिए
उस संघर्षशील पाखी को
एक-एक तिनके के लिए तड़पते हुए
मैंने देखा है
उस व्याकुल प्रेमी को
एक मिलन के लिए
उस बेचैन परदेसी को
एक बार घर लौटने के लिए
तड़पते हुए।
संपर्क : द्वारा संजय सिंह, आर. के. एम. लेन, नाला रोड, लंगर टोली गली, अकबरपुर कोठी, पटना-800004 मो.7763888648